नई दिल्ली. नोटबंदी की वजह से कैश की किल्लत झेल रहे लोगों के लिए एक और बुरी खबर आ सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि नोटबंदी के बाद से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मांग की कमी आ गई है जिसका असर से नौकरियों में छंटनी हो सकती है.
राहत वाली बात यह है कि मंदी का असर 2 से 6 महीने तक ही रहेगा.क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान करते वक्त आरबीआई ने भी देश की विकास दर 7.6 से घटाकर 7.1 फीसद कर दिया है. हालांकि इसकी कई और वजहें भी हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि विकास दर में कमी और ज्यादा भी हो सकती है.
मांग में कमी
नोटबंदी के बाद से मांग में भारी कमी देखी जा रही है. बताया जा रहा है इसकी वजह से 30 फीसद तक उत्पादन घट गया है. इसका असर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में काफी पड़ेगा. देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का अहम हिस्सा है.
खेती पर भी संकट
कई लोगों का कहना है कि नोटबंदी के चलते रबी की फसल का रकबा भी घट गया है. हालांकि इसमें कई विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है. अच्छे मानसून के चलते कषि विकास दर तीन फीसद के ऊपर चली गई थी. लेकिन इस बार कैश न होने से किसानों को समय से बीज नहीं मिल पाए थे जिसकी वजह से समय पर फसल की बुवाई नहीं हो पाई. इसका असर विकास दर भी पड़ेगा.
नौकरियों का संकट
नोटबंदी के असर सबसे ज्यादा नौकरियों पर भी पड़ेगा. कई कंपनियों ने दिहाड़ी मजदूरों को काम देने से मना कर दिया है. वहीं आईटी, मीडिया, विज्ञापन सेक्टर में रोजगार संकट खड़ा हो गया है. नई भर्तियों को बंद कर देने की खबर है.