नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने छतीसगढ़ सरकार की उस दलील का पर सवाल खड़ा किया है जिसमें सोनू सरदार की फांसी की सजा पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी. बता दें कि सोनू सरदार ने एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी थी. उसपर पांच हत्या का आरोप सिद्ध हो चुका है.
अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले सख्त टिप्पणी की और कहा की दिल्ली हाईकोर्ट सोनू सरदार की फांसी पर कैसे रोक लगा सकती है? न्यायालय ने इसपर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी. न्यायालय ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस माना है.
क्या था मामला
मामला एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या का था. छतीसगढ़ के बैकुंठपुर में 26 नवंबर 2004 को कबाड़ कारोबारी शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुख्साना, बेटी रानो, बेटे याकूब और उसके पांच महीने की बेटी की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में सोनू सरदार सहित 5 लोगों पर हत्या का आरोप लगा था. ट्रायल कोर्ट ने 2008 में सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. छतीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2010 में फांसी की सजा को बरकरार रखा था. 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने चार की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी थी लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
सोनू सरदार की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था. उसे फांसी की तैयारी हो रही थी दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 मार्च 2015 को सोनू सरदार की मौत की सजा पर रोक लगा दी थी दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि सोनू सरदार की फांसी की याचिका पर वह सुनवाई कर सकती है और इसपर रोक भी लगा सकती है, क्योंकि राष्ट्रपति ने उसकी याचिका खारिज किया है.
छतीसगढ़ सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा है कि यह हत्याकांड छतीसगढ़ में हुआ है इसलिए यह दिल्ली हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है और वह इसपर वह सुनवाई नहीं कर सकती. छतीसगढ़ सरकार का कहना है कि दिल्ली उच्च न्यायालय इसलिए इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती है कि उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की थी.