नई दिल्ली: आज नोटबंदी को एक महीना पूरा हो गया है. इसके असर को जानने का एक तरीका यह भी है कि हम उन कम्पनियों के नोटबंदी से पहले और बाद के डेटा को खंगालें जो अपने ग्राहकों को ई पेमेंट का विकल्प उपलब्ध कराती हैं.
इस तरह की कंपनियों में स्नैपडील की बात करें तो नोटबंदी की घोषणा के अगले दो दिनों में 75 फीसदी चीजें ई पेमेंट के जरिये ऑर्डर हुईं थी. जबकि इससे पहले तक 70 फीसदी चीजें कैश ऑन डिलीवरी के विकल्प के तहत आर्डर की जाती थी. इतना ही नहीं स्नैपडील की माने तो इमने से 90 फीसदी ऑर्डर मेट्रो सिटी से नहीं बल्कि तुरा, बलिया और अंबिकापुर जैसे छोटे शहरों से थे.
यह बात अपने आप में भुगतान के पारम्परिक तरीके में होने वाले बदलाव को दर्शाती है. इसके अलावा पेटीएम और मोबीविकी जैसे ई-वॉलेट्स ने भी अपने ट्रैफिक में जबरदस्त उछाल 8 नवम्बर के बाद से देखा है. इन ई वालेट्स का भी कहना है कि इनके ट्रैफिक में उछाल का बड़ा हिस्सा मेट्रो सीट के बाहर से आया था.
मोबीविकी की को फाउंडर उपासना ताकू ने इस बारे में कहा है कि ‘ऐसा एक जूस वाले से लेकर सब्जी वाले तक और मन्दिरों में भी ई वालेट को अपनाये जाने के चलते हुआ है. ऐसे में साफ़ है कि नोटबंदी के बाद काले धन और फर्जी नोटों पर होने वाले असर के अलावा लोगों के भुगतान के तरीके में भी बड़ा बदलाव आया है और इसके लंबे समय तक बने रहने की भी उम्मीद है.
जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में और सुधार के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी को सुधारे जाने की सख्त जरुरत है.