नई दिल्ली: भारत के सबसे प्रसिद्ध और सबसे अमीर मंदिरों में से एक है मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर. भगवान गणेश के इस मंदिर की चर्चा देश-विदेश हर जगह है. इस मंदिर के पास 160 टन सोना जमा है और मंदिर के नाम पर 125 करोड़ रूपए की फिक्सड डिपॉजिट है. गजानन के इस बड़े मंदिर की सालाना आय 46 करोड़ रूपये है.
सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. आम आदमी से लेकर मशहूर फिल्मी कलाकार और बड़े-बड़े नेता भी यहां अपना सिर झुका कर जाते हैं. इस मंदिर में सिर्फ चढ़ावा ही हर रोज 2 लाख रुपये का चढ़ता है. मंदिर में सालाना 80 से 90 करोड़ रुपये चढ़ावा आता है.
इस चढ़ावे के पैसे को लेकर लोगों और मंदिर के ट्रस्ट के बीच खींचतान हो रही है. सिद्धिविनायक में आस्था रखने वालों के मुताबिक भगवान का चढ़ावा भक्तों में बराबर बंटने चाहिए, खासकर गरीबों में. लेकिन वहीं दूसरी तरफ मंदिर का ट्रस्ट कहता है कि चढ़ावे का इस्तेमाल भक्तों में ही होता है.
इसी तरह शिरडी के साईं बाबा मंदिर के पास 360 किलो सोना है. इस मंदिर की संपत्ति और आय दोनों ही अरबों में है. रोजाना यहां भक्त 30-40 लाख रुपये चढ़ावा चढ़ाते हैं. शिरडी के साईं मंदिर में हर साल लगभग 350 करोड़ का दान आता है. अब सवाल उठता है कि मंदिर के खजाने का इस्तेमाल क्यों न करे सरकार ?
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