नई दिल्ली : 25 साल पहले 1991 में जयललिता ने करुणानिधि को हराकर पहली बार तमिलनाडु की कमान संभाली थी और अबतक वो 6 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं. जयललिता सत्ता में रही तब भी और नहीं रही तब भी सियासत में छाई रहीं.
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी तामिलनाडु पहुंचे. मोदी कई मिनट तक जलललिता के पार्थिव शरीर के पास खड़े रहे. इस दौरान वो भावुक भी हो गए. पीएम के अलावा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी चेन्नई पहुंचकर जयललिता को श्रद्धांजलि दी.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी कांग्रेस नेताओं के साथ जयललिता को श्रद्धांजलि देने चेन्नई पहुंचे. उनके बिना वहां की सियासत की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. अब जब वो नहीं रहीं तो राज्य की सियासत कैसी होगी. ये बड़ा सवाल है. क्या एमजीआर की मौत के बाद की तरह पार्टी टूट सकती है? क्या तमिलनाडु की सियासत में द्रविड़ राजनीति का दबदबा कम होगा?
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