नई दिल्ली : पूरा तमिलनाडु अम्मा के निधन पर मातम में डूबा है. अम्मा यानी जयललिता, जिन्हें तमिल फिल्मों में सिल्वर जुबिली क्वीन और तमिल राजनीति में आयरन लेडी कहा जाता था. ऐसी मिसाल ढूंढे से भी नहीं मिलती, जब किसी ने अपनी ज़िंदगी के 68 साल में से 55 साल तक लोगों के दिलों पर राज किया हो.
जयललिता ऐसी ही बेमिसाल शख्सियत थीं जिन्होंने अपना वजूद खुद बनाया. जीवन भर जो भी किया, वो अपनी शर्तों पर किया. सिल्वर स्क्रीन का बेशुमार ग्लैमर और सियासी सत्ता पर पूरा वर्चस्व. पांच दशक से तमिलनाडु में बहार बनकर छाईं रहीं जयललिता जयरामन की शख्सियत बाहर से देखने पर ऐसी ही लगती है, लेकिन जयललिता जिस मिट्टी की बनी थीं, उसमें जीवन के और भी रंग थे.
हिंदी विरोध की राजनीति करने वाली ऑल इंडिया अन्ना डीएमके की सुप्रीम लीडर बनीं जयललिता ना सिर्फ अच्छी हिंदी बोलती थीं, बल्कि उन्होंने 1968 में रिलीज हुई फिल्म इज्ज़त में अहम भूमिका भी निभाई. फिल्म इज्ज़त में जयललिता के हीरो रहे धर्मेंद्र को लगता है कि जयललिता के ना होने का सूनापन कोई नहीं भर सकता. एआईएडीएम की राजनीतिक बुनियाद ब्राह्मण विरोध पर रखी गई. खुद ब्राह्मण होते हुए भी ब्राह्मण विरोधी राजनीति करने वाली पार्टी की सर्वोच्च और सर्वमान्य नेता बनने का करिश्मा सिर्फ जयललिता ही कर सकती थीं.
अपने 68 साल के जीवन में जयललिता ने जो भी चाहा, वो उन्हें नहीं मिला. वो पढ़ाई करनी चाहती थीं, लेकिन घर के हालात ने ये मौका छीन लिया. जयललिता फिल्मों में नहीं आना चाहती थीं.., लेकिन घर के हालात और मां की जिद उन्हें सिल्वर स्क्रीन पर खींच लाई. वो बॉलीवुड स्टार शम्मी कपूर की दीवानी थीं, लेकिन शम्मी कपूर के साथ मुलाकात का मौका तक नहीं मिला.
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