सरकार आत्ममुग्ध, RBI नाकाम: ATM के बाद अब बैंक काउंटर पर भी No Cash का बोर्ड

सरकार लाख दावे करे या आरबीआई हजार सर्कुलर जारी करे लेकिन हकीकत यही है कि ना तो एटीएम में उगलने के लिए पैसा है और ना ही बैंक में चेक भुनाने के लिए कैश. कैशलेस की हवा ऐसी चली है कि एटीएम के बाद अब बैंक भी कैशलेस हो चुके हैं.

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सरकार आत्ममुग्ध, RBI नाकाम: ATM के बाद अब बैंक काउंटर पर भी No Cash का बोर्ड

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  • December 6, 2016 9:14 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

नई दिल्ली. सरकार लाख दावे करे या आरबीआई हजार सर्कुलर जारी करे लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि एटीएम या बैंक के बाहर लोग लाइन में इसलिए नहीं दिख रहे हैं क्योंकि ना तो एटीएम में उगलने के लिए पैसा है और ना ही बैंक में चेक भुनाने के लिए कैश. कैशलेस की हवा ऐसी चली है कि एटीएम के बाद अब बैंक भी कैशलेस हो चुके हैं.

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देश को कैशलेस इकोनॉमी बनाने की कोशिश में सरकार अपने फैसले से इतनी आत्ममुग्ध है कि उसे लगता है कि धीरे-धीरे सब कुछ अपने-आप ठीक हो जाएगा. देश में करेंसी की कस्टोडियन रिजर्व बैंक का रवैया तो इस पूरी प्रक्रिया में ऐसा है कि उसे या तो कुछ पता नहीं, या उसका इन चीजों से कोई लेना-देना नहीं हैं.

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उसके इंतजाम नाकाम साबित हुए हैं और लोगों को जरूरत भर कैश भी कहीं से नहीं मिल पा रहा है. कहने के लिए तो सरकार ने पेट्रोल पंप, बिग बाजार जैसे कई आउटलेट्स पर लोगों को कार्ड स्वाइप करके कैश निकालने की सुविधा दी लेकिन इनमें से कोई भी ग्राहकों को पैसे नहीं दे रहा है क्योंकि उनके पास कैश ही नहीं है.

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ये वो जगह हैं जहां पहले ही कार्ड वाले खरीदारी करते थे. कैश उनके पास पहले ही कम आता था. जो कैश आता है वो बांटने के लिए ऊंट में मुंह में जीरा जैसा है. आप पंप पर जाएं तो कहेंगे कि कैश नहीं है. बिग बाजार जाएंगे तो कहा जाएगा कि कैश नहीं है. सरकार की लिस्ट में कैश पाने के पचहत्तर तरीके बता दिए गए हैं लेकिन गारंटी या जवाबदेही किसी की नहीं है.

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ये पूरे देश को पता है कि जिस रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट को चलन से बाहर किया उस दिन देश के बाजार में चल रहे 100 में से करीब 86 रुपए बेकार हो गए. इस 86 रुपए की भरपाई का पूरा जिम्मा रिजर्व बैंक के पास है लेकिन उसकी रफ्तार ऐसी है कि एटीएम तो एटीएम, अब बैंक के ब्रांच भी कैशलेस हो चुके हैं.

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इस समाचार को लिखने वाले रिपोर्टर ने शुक्रवार को दक्षिणी दिल्ली आईसीआईसीआई बैंक की एक शाखा में 24 हजार रुपए का चेक देकर कैश मांगा. काउंटर से कहा गया कि 5000 ले लो. फिर बात 10000 तक पहुंची. आखिरकार 15000 रुपया पर मामला सेट हुआ. 15 हजार से एक रुपया ज्यादा देने से बैंक ने हाथ खड़ा कर दिया.

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कागज पर आरबीआई ने कह दिया है कि आप बैंक से एक सप्ताह में 24000 रुपए तक निकाल सकते हैं लेकिन इसके लिए बैंक के पास पैसा होना चाहिए और बैंक को पैसा देना चाहिए. बैंक वाले तो सीधे हाथ खड़े करके कह रहे हैं कि हमारे पास कैश नहीं है तो हम कहां से दें.

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इसी रिपोर्टर ने मंगलवार को मयूर विहार फेज 3 के एचडीएफसी बैंक के ब्रांच में चेक के जरिए 24000 रुपए निकालने की कोशिश की. पूरा का पूरा बैंक खाली पड़ा था. इसलिए नहीं कि लोगों ने पैसा निकालना बंद कर दिया है या लोगों की कैश की जरूरत खत्म हो गई है. इसलिए कि बैंक में कैश था ही नहीं जो दिया सके. लोग आ रहे थे और नो कैश का बोर्ड पढ़कर वापस जा रहे थे.

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