साइबर अपराधों पर सुप्रीम कोर्ट ने गूगल, याहू, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट को नोटिस जारी किया

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने रेप वीडियो पर इंटरनेट कंपनियों से जवाब मांगा है. अदालत ने गूगल, याहू, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट से पूछा है कि सोशल साइट्स पर वायरल होने वाले सेक्स विडियो पर किस तरह से रोक लगाई जा सकती है.
बता दें कि साइबर अपराध के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अदालत ने इसी याचिका की सुनवाई पर इन कंपनियों से जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित ने इन कंपिनयों को नोटिस जारी करके नौ फरवरी तक जवाब देने को कहा है.
गैरसरकारी संगठन प्रज्वला की ओर से वकील अर्पणा भट्ट ने कोर्ट से कहा कि बलात्कार के वीडियो बनाकर सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट किया जा रहा है. याचिका में कहा गया था कि इंटरनेट कंपियों को इस तरह के साइबर अपराध पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए. बता दें कि भारत में रेप वीडियो बहुत तेजी से ऑनलाइन बिक रहे हैं.
सीबीआई ही साइबर अपराध के लिए नोडल एजेंसी है. अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिंदर सिंह ने केंद्र की तरफ से न्यायालय को गृह मंत्रालय और सीबीआई द्धारा किए गए उपायों के बारे में बताया.  मनिंदर सिंह ने न्यायालय से कहा कि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक करने पर दुनियाभर में बहस चल रही है. इस संबंध में जो भी फैसला लिया जाएगा वह लागू होगा.
पीठ ने कहा कि जब अपराध सिद्ध हो जाए तभी नाम उजागर किए जाएं सिर्फ मामला दर्ज करने के बाद नहीं. अदालत ने कहा कि सिर्फ मामला दर्ज करने के बाद नाम उजागर हो जाएगा तो अगर बाद में आरोपी बरी हो गया तो उसकी छवि खराब हो जाएगी.
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि अगर राज्य पुलिस को यौन अपराधों के मामले में जांच के बाद आरोपी के खिलाफ कुछ नहीं मिलता है तो सीबीआई संबंधित अपराध से जुड़े साइबर अपराध के बारे में पूछताछ नहीं करेगी.
न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि वह महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं उनकी सूची में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों को भी शामिल करे. न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के प्रति यौन हिंसा के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं.
बता दें कि तत्कालीन चीफ जस्टिस एचएल दत्तू को हैदराबाद के एक एनजीओ प्रज्वला ने पेनड्राइव में दुष्कर्म के दो वीडियो भेजे थे. वीडियो के साथ एक पत्र भी भेजा गया था. न्यायालय ने इस पत्र का स्वत: संज्ञान लिया था. न्यायालय ने सीबीआई से  व्हाट्सअप पर पोस्ट इन दोनो वीडियो की जांच करने और उन्हें पकड़ने को कहा था.
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