चेन्नई : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और एआईडीएमके प्रमुख जयललिता के निधन के बाद से ही पूरे देश में शोक पसरा हुआ है. तमिलनाडु में तो सन्नाटा ही छा गया है. तमिलनाडु की जनता के मन में जयललिता के लिए जो इज्जत थी, वह शायद ही किसी और के लिए होगी.
जयललिता यानी तमिलनाडु की अम्मा के निधन के बाद राज्य में 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा कर दी गई है. वहीं केंद्र सरकार ने भी एक दिन के शोक की घोषणा कर दी है. उत्तराखंड, कर्नाटक और बिहार ने भी एक दिन के शोक की घोषणा कर दी है.
तमिलनाडु की सियासत में जयललिता की पकड़ के बारे में हर कोई अच्छे से वाकिफ है. साल 1991 से करुणानिधि को हराने के बाद से जयललिता तमिलनाडु की राजनीति में हमेशा छाई रहीं. चाहे वह सत्ता में रहीं हों या विपक्ष में, लेकिन अम्मा का कोई सानी नहीं हुआ.
अब जब अम्मा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है तो तमिलनाडु की राजनीति, सियासत किस करवट मुड़ेगी कोई भी कुछ नहीं कह सकता है, लेकिन जयललिता के जाने पर तमिलनाडु की राजनीति के सामने बड़ा सवाल आकर खड़ा हो गया है. यह सवाल हर किसी के मन में आ रहा है कि क्या तमिलनाडु को अब अम्मा की तरह कोई सत्ता चलाने वाला मिलेगा या नहीं.
सबसे अहम सवाल यह है कि अब तमिलनाडु की सियासत किस ओर रुख करेगी. क्या होगा अम्मा की पार्टी एआईडीएमके का, क्या होगा तमिलनाडु की जनता का, क्या होगा विपक्ष का.
कौन संभालेगा पार्टी की कमान ?
अम्मा के निधन के बाद उनके विश्वासपात्र पन्नीरसेल्वम ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल ली है, उन्होंने सोमवार की रात 1:30 बजे सीएम पद की शपथ ले ली थी, लेकिन पार्टी की कमान कौन संभालेगा यह अभी तक तय नहीं हुआ है. कहा जा रहा है कि जयललिता की करीबी शशिकला को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है.
जयललिता की खास सलाहकार की भूमिका निभाने वाली शशिकला की भी पार्टी में खासी पकड़ है. जयललिता के अलावा अगर किसी की सरकार और पार्टी में पकड़ थी तो वह शशिकला ही थीं. हालांकि शशिकला सक्रीय राजनीति से ज्यादातर दूर ही रहीं हैं, लेकिन अम्मा के जाने के बाद शशिकला ही पार्टी की कमान संभालने के लिए सबसे सही बैठ रही हैं.
बिखर सकती है पार्टी
एआईडीएमके में अम्मा की जितनी पकड़ थी, उतनी शायद ही कभी कोई और बना पाए, लेकिन किसी न किसी को तो कमान संभालनी ही होगी. अम्मा ने हमेशा से ही पार्टी को एकजुट रखा था, लेकिन अब उनके जाने के बाद पार्टी के बिखराव की गुंजाइश बढ़ गई है.
ऐसा नहीं है कि पार्टी के अंदर जयललिता के वफादारों की संख्या कम है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हर कोई उनकी तरह ही पार्टी को एक रख सके. जो लीडरशिप की क्वालिटी अम्मा के अंदर थी वह हर किसी में हो यह जरूरी नहीं. इसी वजह से हो सकता है कि पार्टी बिखर भी जाए.
करुणानिधी की पार्टी DMK को हो सकता है फायदा
तमिलनाडु की राजनीति में एआईडीएमके के बाद अगर किसी का दबदबा है तो वह है डीएमके. हालांकि करुणानिधी की भी उम्र काफी ज्यादा हो चुकी है, लेकिन फिर भी अम्मा के जाने के बाद अगर डीएमके कोशिश करे तो सत्ता में वापसी की संभावना काफी बढ़ सकती है.
वैसे तो करुणानिधी के बेटे एमके स्तालिन ने डीएमके की कमान अच्छी तरह से संभाल ली है और अगर वह मौके का फायदा उठाना चाहें तो थोड़ा धीरज देने के बाद राज्य की सत्ता में वापसी की कोशिश की जा सकती है.
बीजेपी को हो सकता है फायदा ?
तमिलनाडु की राजनीति में अम्मा के सक्रीय होने के बाद से ही एआईडीएमके और डीएमके के बाद से किसी भी पार्टी को अच्छा मौका नहीं मिला है, लेकिन अम्मा के जाने के बाद तमिलनाडु की राजनीति में जो खालीपन पैदा हो गया है उसका अगर बीजेपी फायदा उठाना चाहे तो उठा सकती है.
तमिलनाडु में बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टीयों का कोई दबदबा नहीं है लेकिन अगर अब दोनों पार्टी चाहे तो जयललिता के जाने के बाद हुए खालीपन को भरने के लिए कदम बढ़ा सकती है.