चेन्नई. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता का 68 साल की उम्र में निधन हो गया है. अपोलो अस्पताल ने खबर की पुष्टि की. सोमवार रात 11.30 बजे जयललिता ने आखिरी सांस ली.
वह करीब 74 दिन से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं. रविवार शाम से दिल का दौरा पड़ने के बाद से उनकी हालत बहुत नाजुक बनी हुई थी. तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली एम्स के डॉक्टर भी चेन्नई के अपोलो अस्पताल पहुंचे थे लेकिन वे उन्हें नहीं बचा सके.
सुबह हुई थी एंजियोप्लास्टी
बता दें कि जयललिता की सोमवार तड़के एंजियोप्लास्टी की गई थी. दिल के दौरे की खबर आने के बाद से ही अस्पताल के बाहर समर्थकों का जमावड़ा लगा हुआ है. भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया है.
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दो महीने रहीं ICU में
इससे पहले 68 वर्षीय जयललिता को 22 सितंबर को बीमार हालत में अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वो लगभग दो महीने आईसीयू में रही थीं.
जयललिता राज्य की एक लोकप्रिय नेता थीं, जिन्होंने अपने लोकलुभावन कार्यक्रमों से गरीबों का दिल जीता. उनको रविवार शाम को दिल का दौरा पड़ा था. इसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया. तमिलनाडु में स्कूल और कॉलेज तीन दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं.
इसके कुछ समय पहले ही उनकी पार्टी अन्नाद्रमुक ने कहा था कि 22 सितंबर से
अस्पताल में भर्ती जयललिता ‘जल्द ही’ घर लौट सकती हैं, क्योंकि एम्स की एक विशेषज्ञ टीम ने पुष्टि की थी कि वह पूरी तरह ठीक हो चुकी हैं. कई हफ्तों से चेन्नई अपोलो के डॉक्टर कहते रहे हैं कि “अम्मा” को कब वापस जाना है, इस पर निर्णय वहीं लेंगी.
उनकी पार्टी ने कहा था कि वह महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दे रही है और कभी-कभी उनसे मिलने वाले लोगों से बात कर रही हैं. जब पहली बार सितंबर में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उनकी पार्टी ने कहा था कि उन्हें डिहाइड्रेशन और बुखार है लेकिन जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि उनकी हालत गंभीर है. उन्हें कई सप्ताह तक रेस्परेटरी सपोर्ट पर रखा गया.
लंदन और दिल्ली से विशेषज डॉक्टरों को भी उनकी निगरानी के लिए बुलाया गया था. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों भी उन्हें देखने अस्पताल आए थे.
फिल्मी दुनिया से राजनीति की दुनिया तक का सफर तय करने वाली जयललिता तमिलनाडु की चार बार मुख्यमंत्री बनीं और डीएमके पार्टी का राज्य में विकल्प बनीं. इस वर्ष मई में भारी बहुमत से जीत दर्ज करके उन्होंने इतिहास रच दिया था. पिछले तीन दशक में यह पहला मौका था जब किसी मुख्यमंत्री को लगातार दूसरी बार जीत मिली थी.
2014 में, आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था. इस केस का ट्रायल पड़ोसी राज्य कर्नाटक में चला था और उनकी प्रतिद्वंदी पार्टी डीएमके ने केस दायर किया था. 9 महिने बाद कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. इसके बाद उन्होंने फिर से राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया था.