नई दिल्ली : केंद्र सरकार के आठ नवंबर आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोट अमान्य करने के फैसले का एक उद्देश्य नकली नोटों को खत्म करना भी था. इसके जरिए आतंकवादियों और अन्य अपराधों के लिए होने वाली फंडिंग की कमर तोड़ने की कोशिश थी.
अब नोटबंदी के बाद से बैंकों में जमा हुए नकली नोटों के आंकड़े भी सामने आए हैं. टाइम्स आॅफ इंडिया की खबर के मुताबिक नोटबंदी के बाद 27 नवंबर तक बैंकों के पास जमा किए गए कुल नोटों में 1.39 लाख (3.4 फीसदी) नकली हैं. इन नाटों का अंकित मूल्य यानी कुल कीमत 9.63 करोड़ रुपये है.
पहले थी 400 करोड़ नकली करेंसी
हालांकि, यह बाजार में फैले 500 और 1000 रुपये के नकली नोटों का बहुत छोटा हिस्सा है. भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) के साल 2016 में जारी आंकड़ों के मुताबिक बाजार में करीब 400 करोड़ रुपये की नकली करेंसी थी. इसमें 1000 रुपये के नोटों की संख्या 50 प्रतिशत और 500 रुपये के नोटों की संख्या 50 प्रतिशत के लगभग थी. आईएसआई के अनुमान के अनुसार 500 और 1000 रुपये के नोटों का अंकित मूल्य 300 करोड़ रुपये के आसपास था.
इसका मतलब यह हुआ कि नोटबंदी के बाद कुल नकली नोटों में से 3.2 प्रतिशत ही बैंकों में वापस आए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक में इतना कम प्रतिशत आने का यह संकेत भी है कि अधिकतर नकली करेंसी आतंकी संगठनों या काला धन जमाखारों के पास है और वे उसे बैंक में जमा नहीं करा सकते. यह संभावना है कि 30 दिसंबर तक और नोट बैंकों में जमा होंगे.