चेन्नई. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को रविवार शाम दिल का दौरा पड़ने के बाद अपोलो अस्पताल के बाहर समर्थकों की भारी भीड़ इकट्ठी हो गई है. जयललिता 22 सितंबर से चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती थीं. आज हम आपको उनसे जिंदगी से जुड़े एक ऐसे किस्से के बारे में बताने जा रहें हैं, जो उनके मुख्यमंत्री बनने के संकल्प का साफ बयां करती है.
जी हां हम बात कर रहें हैं साल 1989 की, जब जयललिता विधानसभा में विपक्ष की नेता थीं. 25 मार्च को तमिलनाडु के तत्कालिन मुख्यमंत्री करुणानिधि विधानसभा में बजट पेश करने जा रहें थे. इसी बीच कांग्रेस के एक सदस्य ने प्वाएंट ऑफ ऑर्डर उठाते हुए कहा कि पुलिस ने विपक्ष की नेता जयललिता के खिलाफ अप्रजातांत्रिक ढ़ंग से काम किया है.
फोन टैप करने का आरोप
इस बीच तत्कालिन विपक्ष की नेता जयललिता ने भी उठकर शिकायत करनी शुरू कर दी कि मुख्यमंत्री के उकसाने पर पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है इतना ही नहीं उनके फोन को भी टैप किया जा रहा है. लेकिन वहीं स्पीकर बजट के दौरान इस मुद्दे को उठाने से साफ इंकार कर दिया.
इसके बाद एआईडीएमके के कुछ सदस्य चिल्लाते हुए सदन के वेल में पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा बढ़ते देख विधानसभा स्थगित करनी पड़ी. लेकिन जैसे ही जयललिता सदन से निकलने के लिए तैयार हुईं एक डीएमके के सदस्य मे उन्हें रोकने की कोशिश करते हुए उनकी साड़ी खींची, जिसकी वजह से उनका पल्लू गिर गया और वो जमीन पर गिर गई. हालांकि तुरंत एक एआईडीएमके सदस्य ने उन्हें उसके चंगुल से छुड़वा लिया.
जयललिता ने ली शपथ
लेकिन जयललिता सदन में हुए अपने साथ इस अपमान को भूलने तैयार नहीं थीं. उन्होंने उसी वक्त यह कसम ली कि वो उस सदन में तभी दोबारा कदम रखेंगी जब वो महिलाओं के लिए सुरक्षित हो जाएगा या यूं कहें कि तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री के तौर पर ही कदम रखेंगी.