जयललिता के फिल्मी दुनिया से राजनीति के सफर तक की जानिए ये खास बातें…

चेन्नई : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता 22 सितंबर से चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती थीं. रविवार शाम उन्हें दिल का दौरा पड़ा. समर्थकों की भीड़ अपोलो अस्पताल के आगे जुटी हुई है. जयललिता फिल्मों से राजनीति में आईं थी.
आईए जानते हैं जयललिता के अभिनेत्री से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर…
बेंगलुरु से फिल्मी सफर शुरू
24 फरवरी 1948 को एक तमिल परिवार में जन्मी जयललिता 2 साल की थी तो उनके पिता की मौत हो गई थी. जिसके बाद जयललिता की मां उन्हें बेंगलुरु लेकर चली गई. जब जयललिता स्कूल में पढ़ रही थीं तभी वो फिल्मों में काम करने को राजी हो गई और इसी दौरान उन्होंने ‘एपिसल’ नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम भी किया. बेंगलुरु से ही जयललिता ने तमिल सिनेमा से फिल्मों में काम करने का सफर शुरू किया.
15 साल की उम्र में मुख्य अभिनेत्री
15 साल की छोटी उम्र में ही जयललिता कन्नड़ फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री के रूप में किरदार निभाने लगी. अभिनेता शिवाजी गणेशन के साथ में फिल्में करके वो सुर्खियों में भी रही. जयललिता ने हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र के साथ भी काम किया है.
खुद की जिंदगी पर भी एक फिल्म
जयललिता की खुद की जिंदगी पर भी एक तमिल फिल्म ‘इरूवर’ बन चुकी है. जिसमें ऐश्वर्या राय ने जयललिता का किरदार निभाया था. राजनीति में आने से पहले जयललिता काफी फेमस अभिनेत्री थीं. तमिल, तेलुगू, कन्नड़ के अलावा उन्होंने एक हिन्दी फिल्म में भी काम किया है.
राजनीति में कदम
फिल्मी दुनिया को छोड़ जयललिता ने फिर राजनीतिक में कदम रखा. जयललिता अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कजगम पार्टी से हैं. अम्मा की राजनीति को लेकर कहा जाता है कि एमजी रामचंद्रन जयललिता की राजनीति में लेकर आए. जयललिता ने तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए चुनी गई. रामचंद्रन की मौत के बाद जयललिता ने उनकी जगह ले ली.
पहली बार मुख्यमंत्री
राजनीतिक दौर में एम. करुणानिधि की पार्टी द्रमुक से टूटने के बाद एमजीआर ने अन्नाद्रमुक का गठन किया था और साल 1983 में एमजीआर ने जयललिता को पार्टी का सचिव नियुक्त किया था. जयललिता पहली बार साल 1991 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं. लेकिन 1996 में उन्हें हार भी झेलनी पड़ी.
आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप
जयललिता पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप भी लगा और वो दोषी भी पाई गईं. जिसके बाद बेंगलुरु की अदालत ने जयललिता को चार साल की सजा सुनाई. 2001 में जयललिता फिर मुख्यमंत्री बनीं. भ्रष्टाचार को दरकिनार करते हुए जनता ने उनमें भरोसा दिखआई और उनकी पार्टी चुनावों में जित हासिल करने में कामयाब रहीं.
चुनाव जितने के बाद अम्मा ने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाली लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध करार दिया. जिसके कारण उन्होंने अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी और भरोसेमंद मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को सौंप दी.
‘अम्मा’ कहकर पुकारते
इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट से कुछ राहत मिलते ही मार्च 2002 में वह फिर से मुख्यमंत्री बन गईं. 2011 में चुनाव जितने के बाद वह 2014 तक मुख्यमंत्री रही. फिलहाल तबीयत खराब होने के बाद से राज्य के वित्त मंत्री ओ. पनीरसेल्वम मुख्यमंत्री का कामकाज संभाल रहे हैं. इनके समर्थक उन्हें ‘अम्मा’ कहकर पुकारते हैं.
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