नई दिल्ली. चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर अपने बचपन के सेंट्रल बेसिक हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंच कर रो पड़े. ऐसा तब हुआ जब जस्टिस ठाकुर स्कूल में बच्चों को संबोधित कर रहे थे. उन्होने कहा कि मैं अपने बचपन के स्कूल में आकर बहुत खुश हूं.
बता दें कि चीफ जस्टिस यहां एक निजी संस्था की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे. अपने पुराने अध्यापकों के बीच खुद को पाकर जस्टिस ठाकुर अपने आसुओं को रोक ना सके. उन्होनें कहा कि इतने लम्बे समय बाद मैं अपने स्कूल आया हूं और मैं हैरान हूं कि आज भी यहां वही टूटी कुर्सियां और खिड़कियां मौजूद हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि आज हम लोग मंगल पर जा चुके हैं लेकिन स्कूल में कोई बदलाव नहीं आया है. यह 50 साल पहले जैसा था आज भी वैसा ही है. उन्होनें शिक्षा को प्रगति का एकमात्र रास्ता बताते हुए कहा कि सिर्फ शिक्षा से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है और इससे कभी समझौता नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने अपने पुराने दिनो को याद करते हुए कहा कि मैं आज से पचास साल पहले इसी स्कूल से निकला था और आज इतने लम्बे समय के बाद दोबारा यहां आया हूं. उन्होनें अपने शिक्षकों का शुक्रिया अदा किया.
उन्होनें कश्मीर में बढ़ते कट्टरवाद पर चिंता जताई और कहा कि कट्टरवाद की वजह से ही यहां के हालात बिगड़े हैं. उन्होने कश्मीर में स्कूलों के जलाए जाने पर भी चिंता जाहिर की और कहा कि ‘कुछ ताकतें चाहती हैं कि बच्चे तालीम हासिल न कर पाएं. वे लोगों को जिहादियों की तरफ ढ़केलना चाहती हैं.’ उन्होने कहा यहां कि ‘चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं लेकिन मुझे यहां से बहुत उम्मीदें हैं.’