नई दिल्ली. वकालत से एक राजनेता और फिर देश के आठवें राष्ट्रपति तक का सफर तय कर चुके आर. वेंकटरमण यानि रामास्वामी वेंकटरमण का आज जन्मदिन है. इतना ही राष्ट्रपति बनने से पहले वो करीब चार साल तक देश के उपराष्ट्रपति भी रहें हैं.
रामास्वामी वेंकटरमण का जन्म तमिल नाडु में तन्जोर जिले के पट्टूकोटाई के पास राजमदम गाँव में 4 दिसम्बर 1910 को हुआ था. इसके बाद उन्होंने लॉ कॉलेज मद्रास से कानून की डिग्री हासिल करके साल 1951 में मद्रास उच्च न्यायालय ही वकालत शुरु दी. वकालत के साथ-साथ वो स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े.
उन्होंने इस दौरान देश में चल रहे अंग्रेजी हुकुमत के विरोध में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा संचालित ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन में भाग लिया. इस दौरान वो देश के लिए साल 1942 में जेल भी गए. इसके अलावा साल 1947 से साल 1950 तक वें मद्रास प्रोविंशियल बार फेडरेशन के सचिव भी रहें हैं.
कैसे रखा राजनीति में कदम
इसके अलावा उनके राजनीतिक जीवन की बात करें तो वकालत से जुड़े होने के कारण उनका संपर्क राजनीति के क्षेत्र से भी बढ़ता गया. इसके बाद उन्हें उस संविधान सभा का सदस्य चुना गया जिसने भारत के संविधान की रचना की. इसके बाद वो देश के पहली संसद के लिए चुने गए, इस दौरान वे न्यूज़ीलैण्ड में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मलेन में भारतीय संसदीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रहे. सैल 1976 में उन्हें योजना आयोग का सदस्य बनाते हुए उन्हें उद्योग, श्रम, उर्जा, यातायात, परिवहन और रेलवे की जिम्मेदारी सौंपी गयी.
1987 में चुने गए देश के 8वें राष्ट्रपति
साल 1980 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में चुने जाने के बाद इंदिरा गाँधी मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला. बाद में वें भारत के रक्षा मंत्री चुने गए. फिर साल 1987 में आर. वेंकटरमण देश के आठवें राष्ट्रपति चुने गए.
आर. वेंकटरमण के उनकी जीवन में कई कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया है. लेकिन 12 जनवरी 2009 को बीमार होने के कारण नई दिल्ली में मौजूद सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उनकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती गयी औऱ 27 जनवरी 2009 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.