New Criminal Law: पूरे देश में आज यानी सोमवार, 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए है। इसके साथ ही पुराने तीन कानून खत्म हो गए। 1 जुलाई से पूरे भारत में भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर अब भारतीय न्याय […]
New Criminal Law: पूरे देश में आज यानी सोमवार, 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए है। इसके साथ ही पुराने तीन कानून खत्म हो गए। 1 जुलाई से पूरे भारत में भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो चुके हैं।
नए कानून द्वारा आधुनिक न्याय प्रणाली सुनिश्चित करने का प्रावधान है। इसमें जीरो एफआईआर, SMS के जरिए समन, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की वीडियोग्राफी अनिवार्य हैं। नए क्रिमिनल लॉ को संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर आपराधिक मामले का फैसला सुनाया जाना चाहिए। गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य सरकार गवाह सुरक्षा योजना लागू करेंगे।
बलात्कार पीड़ितों के बयान अभिभावक या रिश्तेदार की उपस्थिति में महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज होगा। साथ ही मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के अंदर पूरी होनी चाहिए।
नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार करने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। बच्चे को बेचना या खरीदना जघन्य अपराध है और ऐसा करने पर कड़ी सजा दी जाएगी।
शादी के झूठे वादे करके महिलाओं को छोड़ने पर दंड देने का प्रावधान है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर 90 दिनों के अंदर पीड़ितों को नियमित अपडेट देना होगा। साथ ही पीड़ित महिला को मुफ्त प्राथमिक उपचार कराना आवश्यक है।
अब घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से भी की जा सकती है। इसके लिए पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पीड़ित और आरोपी दोनों 14 दिनों के अंदर एफआईआर, चार्जशीट, पुलिस रिपोर्ट, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त कर सकते हैं।
गंभीर अपराध होने पर फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाकर साक्ष्य एकत्रित करना अनिवार्य कर दिया गया है।
लिंग की परिभाषा में अब न सिर्फ महिला और पुरुष रहेंगे बल्कि इसमें ट्रांसजेंडर को भी शामिल किया गया है, ताकि समानता को बढ़ावा मिले।
गिरफ्तार व्यक्ति अपनी स्थिति के बारे में अपनी पसंद के व्यक्ति को सूचित कर सकता है।