आज CBI की विशेष अदालत ने यूपीए सरकार के दौरान हुए पौने दो लाख करोड़ के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर फैसला सुनाते हुए इस घोटाले में शामिल कैबिनेट मंत्री रहे ए राजा समेत 24 लोगों को आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत ने राजा, कनिमोझी और अन्य सभी आरोपियों को फैसले के लिए आज हाजिर रहने का निर्देश दिया.
नई दिल्ली.दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने आज देश का सबसे बड़ा घोटाला माने जा रहे पौने दो लाख करोड़ के टू-जी स्पेक्ट्रम केस में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी वकील आरोप साबित नहीं कर पाए. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट के फैसले से पहले परिसर में भारी भीड़ थी. जज ओपी सैनी ने भीड़ के चलते आरोपियों के कोर्ट न पहुंच पाने के चलते कार्यवाही स्थगित कर दी. दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो उन्होंने अपने एक लाइन के फैसले में कहा कि सरकारी वकील आरोप साबित करने में नाकाम रहे हैं. जज ओपी सैनी ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है. बता दें कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर अनिमितता हुई थी.
सीबीआई द्वारा पहला आरोप-पत्र दाखिल किए जाने के बाद 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की सुनवाई छह साल पहले शुरू हुई थी. इससे संबंधित सभी मामलों की सुनवाई विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी कर रहे हैं. कोर्ट ने तीन मामलों की सुनवाई की है जिसमें पहले मामले में ए राजा के अलावा कनिमोई,अंबानी समूह के एडीएजी, यूनिटेक समेत कई अन्य आरोपी हैं. सीबीआई की विशेष अदालत ने तीन मामलों की सुनवाई की है, जिसमें दो सीबीआई और एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 122 लाइसेंस के आवंटन से 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इसे दो फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. मामले में आरोपियों को छह महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.
सीबीआई ने पहला केस राजा, कनिमोझी, राजा के प्राइवेट सेक्रेटरी आरके चंदोलिया, पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा, स्वान के टेलीकॉम प्रमोटर्स शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के गौतम दोषी, सुरेंद्र पीपरा और हरि नायर पर दायर किया था. टूजी स्पैक्ट्रम घोटाले में सुनवाई छह साल पहले 2011 में शुरू हुई थी जब अदालत ने 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. जिन आरोपों में आरोप तय किए गए हैं उनमें छह महीने से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. 2011 में इस मामले में सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की थी.
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