देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के जीवन की इन बातों से आप आज तक थे अनजान…

नई दिल्ली : भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की आज 132वीं जयंती है. 3 दिसंबर 1884 के दिन जन्मे राजेंद्र प्रसाद अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने अपने जीवन में ऐसे काम किए हैं जिनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. भारतीय संविधान निर्माण में भी उन्होंने जो भूमिका निभाई है, उसे शायद ही कोई और निभा सकता था. पूरे भारत भर में राजेंद्र प्रसाद को राजेंद्र बाबू या देशरत्न के नाम से पुकारा जाता था.
उत्तर प्रदेश के अमोढ़ा के कुआंगांव में जन्में राजेंद्र प्रसाद ने कोलकाता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी. उन्हें साल 1902 में कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में एडमिशन में लिया, उन्हें यहां प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान मिला था.
राजेंद्र प्रसाद के जीवन की कुछ ऐसी बातें जिन्हें आप नहीं जानते हैं यहां पढ़िए…
महात्मा गांधी से प्रभावित थे राजेंद्र बाबू
वकील के रूप में कैरियर की शुरूआत करते वक्त ही राजेंद्र प्रसाद का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में पदार्पण हो गया था. देश के पहले राष्ट्रपति देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से खासा प्रभावित थे. वे महात्मा गांधी की निष्ठा, समर्पण और साहस से बहुत प्रभावित थे.
महात्मा गांधी के विदेशी संस्थाओं के बहिष्कार की अपील के बाद उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय के सीनेटर का पद त्याग दिया था और अपने पुत्र को भी कोलकाता विश्वविद्याल से निकलवाकर बिहार विद्यापीठ में दाखिल करवाया था.
बिहार भूकंप के बाद जुटाया था धन
बिहार के 1934 के भूकंप के समय के वक्त राजेंद्र प्रसाद जेल में थे. जेल में दो साल रहने के बाद जब वे छूटे तब भूकंप पीड़ितों के लिए धन जुटाने में तन-मन से जुट गए. उन्होंने वायसराय के जुटाये धन से कहीं अधिक धन जमा किया था.
बाढ़ में किया सेवा कार्य
राजेंद्र प्रसाद ने साल 1914 में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ में सेवा कार्य में भी काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. इसके अलावा सिंध और क्वेटा के भूकंप के समय कई राहत शिविरों का इंतजाम भी अपने हाथों में लिया था.
बहन के दाह संस्कार में शामिल होने से पहले निभाया कर्तव्य
राजेंद्र प्रसाद के लिए उनका कर्तव्य ही सबसे पहले आता था. इसी वजह से उन्होंने अपनी बहन के दाह संस्कार में शामिल होने से पहले अपना कर्तव्य निभाना जरूरी समझा. भारतीय संविधान के लागू होने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को उनकी बहन भगवती देवी का निधन हो गया, लेकिन वे भारतीय गणराज्य के स्थापना की रस्म के बाद ही दाह संस्कार में भाग लेने गए.
राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक भारत के प्रथम राष्ट्रपति की कमान संभाली. उन्हें साल 1962 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया. देश के प्रथम राष्ट्रपति का निधन 28 फरवरी 1963 में 78 साल की उम्र में हुआ. अपने आखिरी समय में वह बिहार के पटना में थे.
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