नई दिल्ली. जाने माने अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की आलोचना की है. एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने इस फैसले को निरंकुश और विश्वास पर आधारित अर्थव्यवस्था की जड़ खोदने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि इससे नोट और बैंक के साथ पूरी अर्थव्यवस्था का महत्व भी कम होता है.
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले ने विश्वास पर टिकी हुई अर्थव्यवस्था की अनेदेखी की गई है साथ ही यह फैसला निरंकुश है. सेन ने कहा कि नोटबंदी का फैसला अर्थव्यवस्था के लिए पूरी तरह एक आपदा है. पिछले 20 सालों में देश ने तेजी के साथ विकास किया है. नोटबंदी का सीधा उद्देश्य काले धन से निपटना बताया गया है. हर तरफ इस फैसले की प्रशंसा होगी, लेकिन साथ की साथ हमें यह भी देखना होगा कि क्या ये सही तरीका है ?
सेन ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि काले धन और भ्रष्टाचारियों को लेकर कुछ किया जाए, लेकिन इस फैसले से आम नागरिकों की जिन्दगी काफी मुश्किल में पड़ गई है. उन्होंने कहा कि काले धन का बहुत छोटा सा हिस्सा नकद के रूप में होता है, लगभग 6 फीसदी या 10 फीसदी से कम. इसलिए उपलब्धि के लिहाज से देखा जाए यह बहुत छोटा कदम है और चल रही अर्थव्यवस्था को बाधित करने के लिए काफी बड़ा है.