नई दिल्ली. शहाबुद्दीन केस में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लताड़कर पूछा है कि अगर निचली अदालत ने शहाबुदीन को बहस के लिए वकील मुहैया कराया था तो उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने की जरूरत क्या थी. मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.
कोर्ट ने कहा कि अगर शहाबुदीन अदालत से लीगल ऐड मांग रहा था तो उसको देने में हर्ज़ क्या था. जिसपर बिहार सरकार ने कहा शहाबुदीन को लीगल ऐड की जरूरत नहीं थी और सरकार लीगल ऐड का खर्चा नहीं उठाना चाहती थी क्योंकि शहाबुदीन सक्षम है कि वो अपने लिए किसी वकील को बहस के लिए नियुक्त कर सके.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुटकी लेते हुए ये भी कहा क्या वाकई शहाबुदीन के पास बहस के लिए वकील करने के पैसे नहीं है. वरिष्ठ अधिवक्ता नाफड़े साहब जो उनके लिए सुप्रीम कोर्ट में बहस कर रहे है क्या वो एमिकस है. तब वरिष्ठ अधिवक्ता नाफड़े ने कहा शहाबुदीन के लिए कोई पेश नहीं होने को तैयार है इसलिए उन्होंने ये केस लिया है.
दरअसल सेशन कोर्ट ने शहाबुदीन को उसके खिलाफ लंबित मामलों में बहस के लिए लीगल ऐड के जरिये वकील उपलब्ध कराया था जिसको बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. और हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद उसके खिलाफ सभी मामलों पर रोक लग गई थी.
वही बिहार सरकार ने फिर कहा शहाबुदीन को बिहार से ट्रांसफर न किया जाये और न ही केस को. वही शहाबुदीन की तरफ से कहा गया कि वो पिछले 11 साल से जेल में है ऐसे में उसके पास पैसे नहीं कि वो बहस के लिए वकील रख सके.
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि जिस तरफ पप्पू यादव को बिहार की जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में ट्रान्सफर किया गया था और मामले की सुनवाई बिहार में ही हो रही थी उसी तरह शहाबुदीन को बिहार से तिहाड़ जेल ट्रांसफर कर मामले की सुनवाई बिहार में ही की जा सकती है. अगर जरूरत होगी हो शहाबुदीन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया जो मामले हाई कोर्ट के सामने लंबित है उनमें दखल नहीं देंगे लेकिन शहाबुदीन को बिहार से तिहाड़ जेल ट्रांसफर किया जाये या नहीं. इस पर विचार जरुर करेंगे. जो मामले निचली अदालत में लंबित है उनको दिल्ली ट्रांसफर किया जाये या नहीं या फिर शहाबुदीन को तिहाड़ ट्रांसफर कर निचली अदालत में सुनवाई जारी रखेंगे.