नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने विदेशी चंदा मामले में यू-टर्न ले लिया है. फेमा कानून के उल्लंघन का दोषी ठहराने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी अपील दोनों पार्टियों ने आज वापस ले लीं. 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पार्टियों को विदेशी कंपनी से चंदा लेने का दोषी बताया था. हाई कोर्ट ने दोनों पार्टियों पर कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया था. इसके खिलाफ दोनों पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
जस्टिस जे ए खेहड, जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर की तीन सदस्यीय खंडपीठ को इन पार्टियों के वकीलों ने सूचित किया कि विदेशी चंदा विनियमन कानून, में 2010 में किये गये संशोधन के मद्देनजर कानून का उल्लंघन करके कथित रूप से विदेशी धन स्वीकार करने पर उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
हालांकि, हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के वकील जयंत भूषण ने कहा है कि दोनों पार्टियों के अपील वापस लेने से मामला खत्म नहीं होता.
बता दें कि दो साल से लंबित इस मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने FCRA कानून (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट) में हाल ही में हुए संशोधन का मसला उठाया था. एक्ट में बदलाव से विदेशी कंपनी की परिभाषा बदल गई है. दोनों पार्टियों को चंदा देने वाली कंपनी वेदांता का दर्जा एक्ट के मुताबिक अब विदेशी कंपनी का नहीं रहा.