नई दिल्ली: जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा या जे. आर. डी. टाटा का निधन आज के दिन 29 नवंबर 1993 को हुआ था. टाटा ने देश में इस्पात, इंजनियरिंग, होटल, वायुयान और कई उद्दोगों का विकास किया है. जे. आर. डी. टाटा उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्होंने भारतीय उद्योगों का ढांचा खड़ा करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है.
- जे. आर. डी. टाटा उसूलों के बेहद पक्के व्यक्ति थे. अपने बिजनेस में उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह ने नई बुलंदियों को छुआ. उनके समय में टाटा समूह की कंपनियों की संख्या 15 से बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई.
- 1929 जे. आर. डी. टाटा भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त पायलट थे. 1932 ई. में जे. आर. डी. टाटा ने भारत की पहली विमानन सेवा ‘टाटा एयरलाइंस’ की आधार शिला रखी. यही एयरलाइंस 1946 में ‘एयर इंडिया’ के रूप में भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा बनी.
- टाटा 1925 में ‘टाटा एंड संस’ में एक अप्रेंटिस के रूप में भर्ती हुए थे. उस समय इस काम के लिए उन्हें पैसे भी नहीं मिलते थे.
- जे. आर. डी. टाटा को 1954 में फ्रांस ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरकिता पुरस्कार ‘लीजन ऑफ द ऑनर’ से सम्मानित किया गया था.
- 1957 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म विभूषण’ से से नवाजा गया था.
- इसके अलावा उन्हें 1992 में भारत सरकार की ओर से ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया.
- टाटा ने समाज के लिए काम करने के लिए जाने जाते थे. 1941 में ‘टाटा मेमोरियल सेंटर फॉर कैंसर रिसर्च एंड ट्रीटमेंट’ की स्थापना की थी. यह एशिया का पहला कैंसर हॉस्पिटल था.
- जे. आर. डी ने राजनीतिज्ञों को रिश्वत देने या काला बाजारी का कभी भी पक्ष नहीं लिया और वे हमेशा इससे दूर ही रहते थे.