मुंबई. महाराष्ट्र सरकार नेता और सरकारी अफसर के अच्छे दिन लाने जा रही है. दरअसल राज्य सरकार ने उस धारा 156 (3) में बदलाव कर दिया है जिसके तहत अदालत एफआईआर दर्ज कराने का आदेश देती है. अब अगर कोर्ट किसी के खिलाफ एफआईआर का आदेश भी देगा तो भी उसके लिए मुख्य सचिव की इजाजत जरूरी होगी. राज्य सरकार का इसके पीछे तर्क है कि ऐसा उसने प्रतिनिधियों और सरकारी कर्मियों को बदमाश तत्वों से बचाने के लिए किया गया है,
जो उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की कोशिश में रहते हैं. हालांकि राज्य सरकार के पास इस बात का जवाब नहीं है कि एफआईआर दर्ज कराने के बाद भी जांच होती है तो फिर इस कानून में बदलाव करने की क्या जरुरत थी?
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