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सीमा पर दुश्मन की गोलियों से कम, बीमारियों से ज्यादा मरते हैं बीएसएफ के जवान

देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले बीएसएफ के जवान सीमा पर दुश्मन की गोलियों से कम बल्कि बीमारियों से ज्यादा मरते हैं. पिछले डेढ़ साल के आकंड़े तो कुछ यूं ही बताते हैं.

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  • November 27, 2016 5:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले बीएसएफ के जवान सीमा पर दुश्मन की गोलियों से कम बल्कि बीमारियों से ज्यादा मरते हैं. पिछले डेढ़ साल के आकंड़े तो कुछ यूं ही बताते हैं.
 
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2015 से सितंबर 2016 के बीच के समयांतराल में मरने वाले कुल 774 बीएसएफ कर्मियों में सिर्फ 25 जवानों की मौत सीमा पर संघर्ष में हुई हैं.
 
बाकि सभी जवानों की मौत बिमारियों और अन्य कारणों से हुई. इस समयावधि के दौरान 117 जवानों के मौत दिल का दौरा पड़ने और 316 जवानों की मौत अन्य बिमारियों की वजह से हुई हैं.
 
पिछले डेढ़ साल में सड़क या रेल दुर्घटनाओं की वजह से 192, एचाआईवी-एड्स की वजह से 18, कैंसर की वजह से 38 और मलेरिया की वजह से पांच बीएसएफ जवानों की मौत हुई है.
 
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये हमारे लिए चिंता का विषय हैं. हमे इस तरह की मौतों में कमी लानी होगी. बीएसएफ को पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी सीमा के साथ-साथ देश के अंदरूनी हिस्सों में नक्सल विरोधी अभियानों में लगाया जाता हैं.

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