नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद से देश की जनता हलकान है, लेकिन जनता की लिए अभी जनवरी तक राहत के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं. नोटबंदी के कारण दिक्कतों पर अधारित क्रेडिट सुसई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी लागू होने के बाद से अब तक केवल 1.5 लाख करोड़ रुपये के नए नोट प्रचलन में आए हैं. जबकि 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद 14.18 लाख करोड़ रुपये की करेंसी के 2,203 करोड़ नोट अब रद्दी बन चुके हैं.
इस बीच सरकार पूरी ताकत के साथ स्थिति सामान्य करने की कोशिश कर रही है. अचानक से 86 प्रतिशत करेंसी रद्द होने से आम लोगों का जनजीवन भी बाधित है. उधर बाजार में अभी तक मात्र 1.5 लाख करोड़ रुपये की कीमत की नोट उतारे गये हैं. जो कुल रद्द करेंसी की 9.86 प्रतिशत है. रिपोर्ट के अनुसार अभी तक बंद की गई करेंसी के लगभग 10 प्रतिशत नोट ही छापे गये है. अभी 90 प्रतिशत नोट छापे जाने की जरूरत है.
रिपोर्ट ने बीते सप्ताह के आंकड़ों पर कहा है कि आरबीआई एक दिन में 500 रुपए के लगभग 4 से 5 करोड़ नोट छाप रहा है. ऐसे में जनवरी 2017 तक पुराने नोटों का कुल 64 फीसदी हिस्सा ही चलन में आ पाएगा. इससे पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बताया था कि बैंक और एटीएम के जरिए उसने 10 से 18 नवंबर के बीच 1.03 लाख करोड़ रुपए लोगों तक पहुंचा दिए हैं. 14.18 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोटों में से 6 लाख करोड़ रुपए विभिन्न बैकों में फिर से जमा किए जा चुके है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी का एलान किया था. बताया गया था कि 31 दिसंबर के बाद से 500 और 1000 रुपए के नोट चलने बंद हो जाएंगे. पीएम ने कहा था कि 500 और 1000 के नोट 31 दिसंबर के बाद ‘कागज के टुकड़े’ के बराबर होंगे.