पुण्यतिथि: बचपन से ही राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले पूर्व पीएम वी पी सिंह के इस फैसले ने बदल दी भारतीय लोकतंत्र की दिशा

नई दिल्ली: आज भारत के आठवें प्रधान मंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह की पुण्यतिथि है. भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री के तौर पर वी पी सिंह का शासनकाल एक ऐसा समय है, जिसने भारतीय लोकतंत्र की दिशा और दशा को काफी हद तक बदल कर रख दिया इसके साथ ही पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिलाने में मुख्य भूमिका इनकी थी.
वीपी सिंह का जन्म मांडा के राजघराने में विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म 25 जून 1931 को इलाहाबाद में हुआ था. साल 1980 में उन्हें इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. बाद में उन्होंने राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में केन्द्रीय वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला. बाद के दिनों में वीपी सिंह का समाजवादी शक्तियों के साथ संबंध टूट गया और आखिरी दिनों में उनका जनाधार नष्ट हो चुका था. लंबी बीमारी के बाद वीपी सिंह ने 27 नवंबर 2008 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में 77 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.
वी पी सिंह से जुड़ी कुछ खास बातें-
  • राजीव गांधी सरकार के पतन के कारण प्रधानमंत्री बने वी पी सिंह ने आम चुनाव के माध्यम से 2 दिसंबर 1989 को पीएम बने थे.
  • इस सरकार को जनता दल राष्ट्रीय मोर्चा के अलावा बाहर से भाजपा और वामपंथी पार्टियों का भी समर्थन प्राप्त था. केंद्र में वीपी सिंह के शासन काल के दौरान मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने की घटना भारतीय राजनीति का अहम मोड़ साबित हुई.
  • उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री या केंद्र में वित्त मंत्री रहते हुए आरक्षण के बारे में उनके विचार नहीं बने थे. रामधन, रामविलास पासवान और शरद यादव जैसे समाजवादी पृष्ठभूमि के नेताओं के साथ मिलकर जब उन्होंने जनमोर्चा बनाया. तब उन्हें मंडल आयोग की सिफारिशों का महत्व मालूम हुआ.
  • जिस समय मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया. वह समय उसके हिसाब से सही नहीं था. दरअसल, चौधरी देवी लाल के साथ हुए विवाद के बाद वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू कर दिया. लेकिन, इतना जरूर है कि आज पिछड़े वर्गों को जो 27 प्रतिशत आरक्षण मिला है. उसके लिए देश उन्हें हमेशा याद करेगा.
  • इसक बारे में एक बार वीपी सिंह ने मंडल के मुद्दे पर खुद कहा था ‘गोल करने में मेरा पांव जरूर टूट गया, लेकिन गोल तो हो गया.’
  • वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने तो उनसे दो तरह की उम्मीद की गई थी. पहला यह कि जनता पार्टी ने जो गलतियां की वह गलती यह सरकार नहीं करेगी और दूसरी यह कि यह सरकार साफ-सुथरी और भ्रष्टाचार से मुक्त रहेगी.
  • इताना सब कुछ होने के बाद भी यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और यह सरकार सिर्फ 11 महीने ही चल पाई.
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