नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद 50 दिनों के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.28 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की एक रिपोर्ट में यह बाद कही गयी है.
CMIE की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसे न होने कि वजह से मार्केट में कामकाज में कमी आएगी, लोग खरीददारी कम करेंगे जिसके कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है. रिपोर्ट कहती है कि बाजार में नकदी की कमी हो जाने से अर्थव्यवस्था के लिए यह समय निराशाजनक रहेगा.
बता दें कि सरकार के 500 और 1000 के नोटों के चलन को बंद करने से कामकाज काफी हद तक प्रभावित हुआ है. लोगों ने पैसे न होने कि वजह से खर्चों में कटौती की है. हमारी अर्थव्यवस्था नकदी पर आधारित है और नकदी न होने की वजह से लेन देन मुश्किल हो गया है.
इकॉनामी पर नजर रखने वाली इस संस्था का कहना है कि ये अनुमान संतुलित तरीके से लगाए गए हैं और इनमें बढा चढाकर कुछ भी नहीं है. नुकसान इससे भी ज्यादा हो सकता है. संस्था का यह भी कहना है कि सरकार और आरबीआई को नोटबैन से 16800 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है.
यह पैसा नए नोट छापने और उन्हें बैंकों और एटीएम तक पहुंचाने में खर्च होगा. CMIE का कहना है कि नोटबैन से सरकार की ट्रांजेक्शन कॉस्ट करीब 1.28 लाख करोड़ रुपए होगी. नोट बदलने के लिए लाइन में खड़े लोगों को करीब 15000 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है.
संस्था के मुताबिक सरकार के इस कदम से सबसे ज्यादा नुकसान कंपिनयों और व्यवसायियों को होगा. कुछ आर्थिक जानकारों का कहना है कि नोटबैन से देश को फायदा होगा क्योंकि इससे ब्लैकमनी बाहर आ जाएगी प्रापर्टी सस्ती होगी और टैक्स ज्यादा मिलेगा.
सरकार का खर्च एटीएम मशीनों में बदलाव और कर्मचारियों को ओवरटाइम सेलरी देने में भी होगा. एटीएम मशीनों को नए नोटों के हिसाब से तैयार करने में भी कॉफी पैसा खर्च होगा. नोटबैन से उत्पादन में कमी आने से भी यह नुकसान होगा लाइनों में खड़े होने की वजह से लोग कामकाज नहीं कर पा रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि कारोबारियों के बाद बैंको को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.