नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदी गईं हैं. इन जमीनों की कीमत करोड़ों रुपए में बताई जा रही है. मिले दस्तावेज बताते हैं कि अकेले बिहार राज्य से पार्टी ने अगस्त के बाद से लेकर नवंबर महीने के पहले हफ्ते तक करोड़ों रुपए की जमीनें देश के अलग-अलग जिलों में खरीदीं हैं.
संपत्तियों के हैं डॉक्यूमेंट
बता दें कि 8 नवंबर की शाम को पीएम मोदी ने देश भर में 500 और 1000 के नोटों पर बैन की घोषणा की थी. वेबपोर्टल कैच के अनुसार उनके पास बीजेपी द्वारा खरीदी गई इन संपत्तियों के डॉक्यूमेंट हैं. कैच के अनुसार जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़े ये डॉक्यूमेंट बिहार सरकार की भूमि जानकारी संबंधी वेबसाइट से मिले हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी ने ये संपत्तियां अपने कार्यकर्ताओं के नाम पर खरीदी हैं.
BJP विधायक ने किया खुलासा
दीघा (पटना) के बीजेपी विधायक और कार्यकर्ता संजीव चौरसिया इन तमाम खरीद में सिग्नेटरी बताए जा रहे हैं. चौरसिया और पार्टी के एक अन्य नेता ने इस स्वीकार किया है कि पार्टी ने हाल ही में बड़ी मात्रा में जमीनों की खरीद-फरोख्त हुई है. चौरसिया के मुताबिक पार्टी ने बिहार के साथ-साथ देश भर में कई जगहें जमीनें खरीदी हैं. ये जमीनें पार्टी ऑफिस और पार्टी के तमाम दूसरे कार्यों के लिए ली गई हैं.
‘नवंबर के फर्स्ट वीक में ही खरीद ली थी जमीन’
चौरसिया के शब्दों में, ‘देश में सब जगह खरीदा जा रहा था. बिहार के साथ और भी जगह जमीन देखा और खरीदा जा रहा है. हम लोग तो केवल सिग्नेटरी अथॉरिटी हैं, पैसा तो पार्टी की तरफ से आता है. पार्टी ऑफिस के लिए और अन्य कामों के लिए. नवंबर के फर्स्ट वीक में ही जमीन खरीद ली गई थी.
JDU ने भी लगाया आरोप
उनसे यह पूछे जाने पर कि क्या खरीददारी नगद हुई थी या चेक के जरिए? तो चौरसिया कहते हैं कि पार्टी का काम एक नंबर से ही होता है और उसका तरीका अलग-अलग होता है. पर लेनदेन हमेशा नगद नहीं हुआ होगा.वहीं जेडीयू ने भी बीजेपी नेताओं पर जमीन खरीदने का कथित तौर पर आरोप लगाए हैं. जेडीयू ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कि जमीन खरीदारी के मामले की उच्चस्तरीय जांच हो. पार्टी ने आगे कहा कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए.
बिहार में भारी मात्रा में खरीदी गईं जमीनें
जेडीयू की ओर से इस मामले में ट्वीट कर लिखा है कि नोटबंदी के फैसले से ठीक पहले बिहार के कई जिलों में बीजेपी ने भारी मात्रा में कंस्ट्रक्शन मैटेरियल के लिए एडवांस में पेमेंट किया है. पार्टी ने आरोप लगाते लेते हुए कहा है कि नोटबंदी के फैसले की जानकारी बीजेपी के कई नेताओं को पहले ही हो चुकी थी और इसी कड़ी में कालाधन को खपाने के लिए यह कदम उठाया गया.