नईदिल्ली: हम कितनी भी महिलाओं की आजादी, बराबरी की बात कर लें लेकिन आज भी महिलाएं शोषण का शिकार होती हैं चाहे वह कोई भी देश हो. जनाब ये हम नहीं कह रहे बल्कि ये हालिया सर्वे में पाया गया है.
सर्वे के मुताबिक महिलाएं किसी भी देश की हो लेकिन उसके लाइफ में एक ऐसा समय जरूर होता है जब उसे वॉयलेंस का शिकार होना पड़ा हो. लेकिन भारतीय यहां भी आगे हैं. इस सर्वे में भारतीय को लेकर बड़ा खुलासा हुआ. इसमें सर्वे में पाया गया कि 19 की उम्र तक आते-आते इंडियन लड़कियां वॉयलेंस फेस कर चुकी होती हैं.
19 की उम्र तक हैरेसमेंट का शिकार
एक्शनएड द्वारा करवाए गए एक सर्वे में पाया गया कि 10 में 4 महिलाएं यानी 41% लड़कियां 19 की उम्र पार करते-करते हैरेसमेंट या वॉयलेंस का शिकार हो चुकी होती हैं.
ये चार देश ऐसे हैं जहां यंग ऐज में ही लड़कियां होती हैरेसमेंट का शिकार
इंटरनेशनल वूमेन एंड चाइल्ड राइट्स एनजीओ द्वारा चार देशों में ये सर्वे करवाया गया जिसमें पाया गया कि महिलाएं बहुत ही यंग ऐज में हैरेसमेंट का शिकार होती हैं. 6% लड़कियां भारत में 10 की उम्र से पहले ही हैरेसमेंट झेल चुकी होती हैं. जबकि ब्राजील की 16%, यूके की 12% और थाईलैंड की 8% लड़कियों के साथ ऐसा हो चुका होता है.
पिछले महीने हैरेसमेंट रिपोर्ट में 73% भारतीय महिलाएं
इस रिसर्च में ये भी पाया गया कि 73% भारतीय महिलाएं पिछले महीने ही वॉयलेंस की शिकार हुई हैं. बाकी देशों में आंकड़ा और अधिक है. ब्राजील की महिलाओं ने पोल के जरिए जवाब दिया जिसमें पाया गया की ब्राजील की 87% महिलाएं, थाईलैंड की 67% महिलाएं पिछले महीने हैरेसमेंट या वॉयलेंस का शिकार हुई हैं. यूके में ये आंकड़ा 57% हैं.
इतने पर्सेंट महिलाओं को जबरन छुआ गया
18 और उससे अधिक उम्र की 2500 महिलाओं पर यूगोव पोल द्वारा हुए सर्वे में पाया गया कि चार में से एक यानि 26% भारतीय महिलाओं का कहना है कि पिछले महीने वे ग्रोप्ड की गई हैं. लेकिन ब्राजील में पांच में से एक महिला यानि 20% महिलाओं को जबरन छुआ गया है. थाईलैंड का आंकड़ा इंडिया के बराबर ही है 26%. यूके में 6 में से एक महिला यानि 16% महिलाओं के साथ ऐसा हुआ है.
ये सर्वे इंटरनेशनल डे फॉर एलिमिनेशन ऑफ वॉयलेंस एगेंस्ड वूमेन के लिए खासतौर पर किया गया था. इस सर्वे में 2,518 ऑनलाइन प्रतिभागियों को शामिल किया गया था.
82% भारतीय महिलाएं हैरेसमेंट से बचने के लिए करती हैं ये काम
इस रिसर्च में ये भी पाया गया कि महिलाएं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे खतरों से बचाव के लिए लगातार कदम आगे बढ़ा रही हैं. 82% भारतीय महिलाओं का कहना है कि वे हैरेसमेंट से बचने के लिए कई कदम उठा रही हैं. ये आंकड़ा 25 से 34 वर्ष की 91% महिलाओं का है.
इनमें से 35% महिलाओं का कहना है कि वे पार्क में अकेले जाना एवॉइड करती हैं. अंधेरी जगहों या कम रोशनी वाली जगहों पर नहीं जाती. इतना ही नहीं, 36% महिलाओं का कहना है कि वे रोजाना अपना ट्रैवल रूट भी बदलती रहती हैं. 23% महिलाएं चाबी को वेपन की तरह इस्तेमाल करती हैं जबकि 18% महिलाएं रेप अलार्म और पैपरस्प्रे का इस्तेमाल करती हैं.
लोगों का माइंडसेट बदलने की जरूरत
इस सर्वे के बारे में एक्शनएड इंडिया के एग्जक्यूटिव डायरेक्टर संदीप का कहना है कि देशभर में महिलाओं पर होने वाले हैरेसमेंट और वॉयलेंस को रोकने के लिए तुरंत एक्शन लेने की जरूरत है. पिछले एक दशक में महिलाओं के अधिकारों, महिलाओं की योग्यता और क्षमता को लेकर काफी अवेरयनेस आई है. अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिक कदम उठाने और लोगों का माइंडसेट भी बदलने की जरूरत है.