नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विवाहेतर संबंध से जुड़े एक मामले में गुरुवार को फैसला सुनाते हुए आरोपी पति को बरी कर दिया. कोर्ट का कहना था कि सिर्फ विवाहेतर संबंध के आधार पर किसी व्यक्ति को उसकी पत्नी के प्रति क्रूरता का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.
विवाहेतर संबंधों के चलते पत्नी ने की आत्महत्या
एक मामले में एक पत्नी को उसके पति पर शादी के बाद किसी और के साथ संबंध होने का शक था. कथित विवाहेतर संबंधों के चलते पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि विवाहेतर संबंध अवैध या अनैतिक तो हो सकता है लेकिन इसे पत्नी के प्रति क्रूरता के लिए पति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.
कुछ और परिस्थितियां भी जरूरी
कोर्ट का कहना है कि पति या पत्नी की बेवफाई आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराए जाने के लिए प्रयाप्त नहीं हैं. ऐसे मामलों को आपराधिक मामला साबित करने के लिए कुछ और परिस्थितियां भी जरूरी होती हैं. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ विवाहेतर संबंध आईपीसी की धारा 498-ए के दायरे में नहीं आती हैं.
शीर्ष अदालत उस पति के जरिए अपनी दोषसिद्धि और चार साल के कारावास की सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. उस पति को अपनी पत्नी के उत्पीड़न और मानसिक क्रूरता के लिए दोषी ठहराया गया था. जिसकी वजह से उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी.