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नोटबंदी मामला: उद्धव ठाकरे से मिलने पहुंचे नितिन गडकरी, बेटे की शादी का दिया न्यौता

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मंगलवार को नोटबंदी पर विपक्ष के सुर में सुर मिलाने वाली सरकार की सहयोगी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की. नितिन गडकरी की बेटी की शादी है और उनकी बेटी की शादी चार दिसंबर को नागपुर में होगी.

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  • November 23, 2016 2:17 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुंबई. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मंगलवार को नोटबंदी पर विपक्ष के सुर में सुर मिलाने वाली सरकार की सहयोगी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की. नितिन गडकरी की बेटी की शादी है और उनकी बेटी की शादी चार दिसंबर को नागपुर में होगी. गड़करी ठाकरे को बेटी की शादी का कार्ड देने पहुंचे थे और दोनों के बीच की मुलाकात करीब आधे घंटे चली.
 
गड़करी और ठाकरे की मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकी शिवसेना नोटबंदी के फैसले पर मोदी सरकार का लागातार विरोध कर रही थी. शिवसेना के प्रमुख मीडिया सलाहकार हर्षल प्रधान ने बताया कि गडकरी ने अपनी बेटी की शादी का निमंत्रण देने के लिए उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. नोटबंदी पर शिवसेना के रुख को लेकर बीजेपी के कई बड़े नेताओं और ठाकरे के बीच टेलीफोन पर कई बार बातचीत हो चुकी है. यह बैठक अपने आप में महत्वपूर्ण है.
 
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और वैंकेया नायडू ने भी नोटबंदी को लेकर ठाकरे की शंकाओं के निवारण के लिए बात भी की थी. ऐसा माना जा रहा है कि नोटबंदी के खिलाफ निकाले गए मार्च में शिवसेना के शामिल होने पर बीजेपी ने अपनी नाखुशी उनके सामने जाहिर की. हालांकि शिवसेना अपने आलोचनात्मक रुख पर टिका रहा और उसने कहा कि नोटबंदी को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
 
शिवसेना बीजेपी की पुरानी सहयोगी है और ये दोनों दल केंद्र और महाराष्ट्र में सत्ता में हैं. बता दें कि पिछले सप्ताह शिवसेना मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन तक मार्च में शामिल हुई थी. इस मार्च में आम आदमी पार्टी (आप) और नेशनल कांफ्रेंस ने भी भाग लिया था. 
 
शिवसेना सांसद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. पीएम मोदी ने सासंदों से सिर्फ इतना ही कहा कि अगर बाल ठाकरे आज अगर जीवित होते तो केंद्र सरकार के इस कदम का समर्थन जरुर करते. बस फिर क्या था पीएम मोदी के इस भावनात्मक बयान का असर हुआ और शिवसेना के गर्म सुर ठंडे पड़ गए.

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