नई दिल्ली. काला धन, आतंकियों की फंडिंग और भ्रष्टाचार रोकने के नेक मकसद के साथ 500 और 1000 का पुराना नोट बैन करके सरकार ने 2000 का जो नोट को बाजार में उतारा है, वो मात्र 13 दिन में घूस में पकड़ा गया, उसके जाली नोट पकड़े गए और अब वो आतंकवादियों के पास भी पहुंच गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 का नोट बैन करने के बाद ज्यादातर बैंकों में 11 नवंबर से 2000 के नए नोट मिलने शुरू हो गए थे. 13 दिन ही बीते हैं और ये नया नोट भ्रष्टाचार, जाली नोट के कारोबार और आतंकियों की जेब तक पहुंच चुका है.
2000 का नया नोट आने के बाद पांचवें दिन 15 नवंबर को ही मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग के तीन कर्मचारी घूस लेते गिरफ्तार हुए जिसमें 5 नोट नए वाले 2000 के थे. हालांकि इस घूसखोरी में 2000 का नया नोट जाल में फांसने के लिए इस्तेमाल किया गया था. 3 लाख की घूस मांगी गई थी जिसमें पहली किस्त के तौर पर 25000 रुपए दिए गए थे और उसमें 2000 के 5 नोट शामिल थे.
इसके अगले ही दिन गुजरात में पोर्ट ट्रस्ट के दो अधिकारी 2.90 लाख रुपए की घूस के साथ पकड़े गए और ये सारे के सारे नोट 2000 के नए नोट थे. गिरफ्तार करने वाले अधिकारी इसलिए भी अचंभित थे कि जब एक सप्ताह में बैंक से 24000 ही निकाल जा सकता है तो किसी ने 2.90 लाख रुपए के नए 2000 वाले नोट कैसे निकाल लिए.
इसके बाद 2000 के जाली नोट का मिलना शुरू हुआ. वैसे तो 12 नवंबर को कर्नाटक के चिकमंगलूर में 2000 का जाली नोट सामने आ गया था लेकिन जांच में वो असली नोट का कलर फोटो कॉपी निकला. 21 नवंबर को उड़ीसा में 4.80 लाख रुपए मूल्य के 2000 वाले जाली नोट मिले. ये नोट भी कलर फोटो कॉपी थे.
21 नवंबर को ही मुंबई में 2000 का जाली नोट चलाने की कोशिश कर रहा एक युवक पकड़ा गया. जांच में ये नोट भी कलर फोटो कॉपी निकला. मतलब, अभी जो जाली नोट मिल रहे हैं वो कलर फोटो कॉपी हैं और किसी जाली नोट के संगठित गिरोह का काम नहीं है.
22 नवंबर को कश्मीर के बांदीपुरा में मुठभेड़ में मारे गए 2 आतंकवादियों के पास से 2000 के नए वाले 2 नोट मिले हैं. आतंकवादियों के पास ये नए नोट कैसे पहुंचे, इसकी जांच चल रही है लेकिन ये तो साफ है कि नए नोट आतंकी नेटवर्क में पहुंच चुके हैं.
नोट बैन के तीखे आलोचक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि 2000 का नया नोट आम लोगों तक नहीं पहुंच पाया है लेकिन उसका नकली नोट सामने आने लगा है.
राजनीतिक विरोधी और आलोचक जो भी कहें लेकिन अगर 2000 का नया नोट भ्रष्टाचार में इस्तेमाल हो रहा है, आतंकियों की जेब से मिल रहा है और फोटो कॉपी के रूप में जाली मिल रहा है तो बचता क्या है- बस काला धन.
अब तो बस ये प्रार्थना ही की जा सकती है कि 2000 के नए नोट को जाली नोट के संगठित देसी या विदेशी या आतंकी गिरोह अपना धंधा ना बना लें. आरबीआई के नोट डिजाइन की अग्निपरीक्षा जाली नोट के मोर्चे पर ही होगी.