मदुरै. 2000 के नोट पर मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को घेरते हुए पूछा है कि किस अधिकार से सरकार ने नोट पर देवनागरी लिपि का इस्तेमाल किया है. कोर्ट ने नोट में 2000 की संख्या को देवनागरी में छापने का कड़ा विरोध किया है.
कोर्ट ने सवाल किया है कि किस अधिकार के तहत सरकार ने इंग्लिश संख्या के साथ-साथ देवनागरी लिपि में 2000 की संख्या नोट पर छापी. कोर्ट की मदुरै बेंच में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से यह सवाल किया है.
इस मु्द्दे पर मदुरै बेंच में एक याचिका दाखिल कर यह कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 343 के मुताबिक राजकीय प्रयोजनों के लिए ही देवनागरी संख्याओं में अंतरराष्ट्रीय फॉर्म का प्रयोग हो सकता है, वहीं राजभाषा अधिनियम 1965 के तहत देवनागरी संख्याओं के प्रयोग पर कोई प्रावधान नहीं है.
दाखिल की गई याचिका
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि देवनागरी संख्या का प्रयोग करना भारतीय संविधान के विरोध में है, इसलिए इसे अमान्य घोषित किया जाए. याचिकाकर्ता ने कहा है कि राजभाषा अधिनियम 1965 में किसी भी तरह का कोई प्रावधान नहीं है देवनागरी संख्याओं के उपयोग को लेकर. यहां तक की राष्ट्रपति ने भी इसके लिए हामी नहीं भरी है.
बता दें कि 2000 रुपये के नोट पर देवनागरी लिपि में भी 2000 लिखा हुआ है, जिसे लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने सवाल खड़ा किया है और इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय से भी जवाब मांगा गया है.