नई दिल्ली. 500 और 1000 के पुराने नोट बंद की घोषणा हुई और जनता ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी का काले धन और भ्रष्टाचारियों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बताया. हालांकि, पीएम मोदी के इस बड़े कदम के पीछे का आइडिया पुणे के रहने वाले अनिल बोकिल और उनके थिंक टैंक अर्थक्रांति प्रतिष्ठान का है.
जुलाई महीने में बोकिल को पीएम मोदी से अपनी बात कहने के लिए 9 मिनट का समय मिला था. लेकिन जब उन्होंने अपनी बात कहनी शुरू की तो अनिल 500 और 1000 के नोटों के पीछे छिपे काले सच को उजागर किया और कैसे उनको हटाना इसका प्लान भी समझाया और पीएम मोदी ने उनकी सलाह मान ली और ये 9 मिनट की मुलाकात दो घंटों तक खिंच गई. इस बातचीत का असर नोटबंदी के रुप में सामने आया.
अब जब भारत की जनता एटीएम और बैंकों के सामने लाइन लगा कर खड़ी है तो बोकिल इसका दोष को मोदी सरकार पर मढ़ रहे हैं. बोकिल ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने उनके सुझाव को पूरा न मानने के बजाय अपनी पसंद को ही तवज्जो दी. बोकिल ने ‘मुंबई मिरर’ से कहा कि मंगलवार को वह पीएम मोदी से मिलने दिल्ली जा रहे थे. हालांकि इस मुलाकात को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से कोई आधिकारिक पुष्टी नहीं हुई थी.
काले धन और भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने के लिए नोटबंदी में क्या गड़बड़ी हुई, इस बारे में अनिल बोकिल ने बताया कि उन्होंने पीएम के सामने एक व्यापक प्रस्ताव रखा था इसके पांच आयाम थे. केंद्र ने इनमें सिर्फ दो को ही माना. यह अचानक में उठाया गया कदम था, ना कि बहुत ज्यादा सोचा-समझा.
बोकिल ने कहा कि इस फैसले का का ना तो स्वागत ही किया जा सकता है और ना ही इसे पूरी तरह से खारिज किया जा सकता हैा. हम इसे फैसले को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं. हमने मोदी सरकार को नोटबंदी को लेकर जो रोडमैप दिए थे, उससे ऐसी परेशानियां नहीं देखने को मिलतीं.
बोकिल उन्होंने सरकार से कहा था-
1. केंद्र या राज्य सरकारों के साथ-साथ स्थानीय निकायों द्वारा वसूले जाने वाले डायरेक्ट या इन डायरेक्ट, सभी टैक्सों का पूरी तरह खात्म किया जाए.
2. ये टैक्सेज बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स (बीटीटी) में बदले जाने थे इसके अंतर्गत बैंक के अंदर सभी प्रकार के लेनदेन पर लेवी (2 फीसदी के करीब) लागू होती. यह प्रक्रिया सोर्स पर सिंगल पॉइंट टैक्स लगाने की ही होती है. इससे जो भी पैसे मिलते उसे सरकार के खाते में विभिन्न स्तर पर (केंद्र, राज्य, स्थानीय निकाय आदि के लिए क्रमशः 0.7फीसदी, 0.6फीसदी, 0.35फीसदी के हिसाब से) पर बांट दिया जाता. इसमें संबंधित बैंक को भी 0.35 फीसदी हिस्सा मिलता. हालांकि, बीटीटी रेट तय करने का हक वित्त मंत्रालय और आरबीआई के पास ही होता.
3. कैश ट्रांजैक्शन (निकासियों) वालों पर किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जाए.
4. सभी तरह की ऊंचे मूल्य की करंसी (500 रुपए से ज्यादा की मुद्रा) वापस बाजार से ले लिए जाएं.
5. सरकार बैंक से कैश ट्रांजैक्शन की सीमा 2000 रुपए तक किए जाने के लिए कोई कानूनी प्रावधान बनाए.
बोकिल ने बताया अगर ये सभी सुझाव सरकार एक साथ मान लेती, तो इससे ना केवल आम आदमी को फायदा मिलता बल्कि पूरी व्यवस्था ही बदल जाती. उन्होंने कहा कि हम सब कुछ खत्म होता ये बिल्कुल भी नहीं मान रहा. हम सब देख रहे हैं. लेकिन सरकार ने बिना किसी बेहोशी की दवा के ही ऑपरेशन कर दिया. इसलिए जानें कितने मरीजों को जान गंवानी पड़ी. हम इस प्रस्ताव पर कम से कम 16 सालों से काम कर रहे हैं जब अर्थक्रांति साल 2000 में स्थापित हुई थी.