चेन्नई. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन ने नोट बैन, नए नोटों की धीमी सप्लाई और निकासी पर पाबंदियों को देश को तंग-तबाह करने वाला फैसला बताते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग की है.
कन्फेडरेशन देश के सरकारी, सहकारी और दूसरे बैंकों के करीब 2.50 लाख अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है और इसके सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डी थॉमस फ्रांको ने कहा है कि उर्जित पटेल को पिछले 12 दिनों में 11 बैंक अधिकारियों की मौत की नैतिक जवाबदेही लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए.
फ्रांको ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या वित्त मंत्री अरुण जेटली कोई अर्थशास्त्री नहीं हैं. अर्थव्यवस्था और आम लोगों पर असर डालने वाले सही फैसले लेने के लिए रिजर्व बैंक में अर्थशास्त्री हैं. मौजूदा गवर्नर अपने पद पर पूरी तरह फेल साबित हुए हैं जिन्होंने बिना प्लानिंग के इतना महत्वपूर्ण आर्थिक फैसला लिया जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था और ज्यादातर लोगों की जिंदगी में तबाही मची हुई है.”
पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस से 100 रुपए के नोट की कमी पर कहा, “हमें जो नोट मिल रहा है वो गंदा नोट है जिसे आरबीआई ने इस संकट की वजह से दोबारा भेजा है. मशीन इस नोट को रिजेक्ट कर देते हैं इसलिए बैंक अधिकारियों के पास ये भी एक बड़ा काम होगा कि वो इसे हाथ से चुनकर छांटें. अगर थोड़ी भी प्लानिंग होती तो ये लोग 2000 रुपए के बदले 500 और 100 के नोट छापते. क्या इसका ये मतलब निकाला जाए कि इन अर्थशास्त्रियों को कैसे इस देश में लेन-देन होता है और कैसे नोट यहां से वहां जाता है. सारे गंदे नोट फिर से वापस आने हैं क्योंकि उन्हें आरबीआई को नष्ट करना है.”
फ्रांको ने कहा कि 500 रुपए के नए नोट 11 दिन बीत जाने के बाद भी ठीक से नहीं पहुंचे हैं. उन्होंने कहा, “जब उन्होंने ये तय किया था कि 2000 का नोट छापना है, तब उन्हें 500 का नोट छापने से किसने रोका था. इन नोट पर साइन गवर्नर ने किया. उनकी टीम ने ये क्यों नहीं समझा कि 2000 के नए नोट 1000 के पुराने नोट से छोटे हैं जिसकी वजह से देश के 2 लाख एटीएम को ठीक करना पड़ रहा है.”
फ्रांको ने कहा, “लोग बैंक काउंटर पर रो रहे हैं.. 11 बैंक अधिकारियों की इस तनाव में जान जा चुकी है. एक अधिकारी हर रोज 16-18 घंटे काम कर रहा है. 11 दिन से 18-18 घंटे काम कर रहे ये लोग आधा दिन की छुट्टी तक नहीं ले पा रहे.” उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से आरबीआई की खराब प्लानिंग का नतीजा है कि संकट खड़ा हो गया है.