नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार ने जब से देश में 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बैन किए हैं तब से उसके असर, उसकी वजह और उसके मकसद पर तमाम तरह के विचार आ रहे हैं. उनमें एक विचार ये भी है कि देश में मौजूद करीब 3500 अरब रुपया का काला धन वापस सिस्टम में नहीं आएगा.
हमारे-आपके पास 500 का नोट हो, 1000 का नोट हो या 100 रुपए का नोट हो, उस पर आरबीआई गवर्नर के दस्तखत के साथ ऊपर लिखा होता है- “मैं धारक को …. रुपए अदा करने का वचन देता हूं”. मतलब, अगर आपके पास 500 रुपए का नोट है तो रिजर्व बैंक ये गारंटी देता है कि उसका मूल्य आपको देगा.
31 मार्च के बाद सचमुच रद्दी रह जाएंगे 500 और 1000 के पुराने नोट
अनुमान लगाया गया है कि 500 और 1000 का नोट बैन होने से 14 लाख करोड़ रुपए जो बाजार में थे, वो बेकार हो गए हैं. सरकार ने इन पुराने नोट को 31 दिसंबर तक और फिर कुछ शर्तों के साथ 31 मार्च तक बैंकों में जमा करने का विकल्प दिया है. मतलब 500 और 1000 के नोट बाजार में चुनिंदा सेवाओं के अलावा कहीं भी चलन में नहीं हैं.
जिन लोगों के पास भी 500 और 1000 के ये नोट हैं, रिजर्व बैंक ज्यादा से ज्यादा 31 मार्च तक उनसे ये नोट वापस लेने को तैयार है. मतलब, रिजर्व बैंक का जो वचन उन नोटों पर छपा है वो 31 मार्च के बाद काम नहीं करेगा.
500 और 1000 के नोट की शक्ल में 3500 अरब रुपए काला धन का अनुमान
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि देश की अर्थव्यवस्था में करीब 20 से 30 परसेंट काला धन है. अगर 25 परसेंट काला धन मान लिया जाए तो 14 लाख करोड़ का 25 परसेंट होता है 3.50 लाख करोड़, मतलब 3500 अरब रुपया. अगर ये काला धन 31 मार्च तक बैंक में जमा नहीं कराया जाता है तो सचमुच वो रद्दी हो जाएगा.
अगर 500 और 1000 के नोट की शक्ल में बाजार में छुपा पड़ा 3500 अरब रुपये का काला धन वापस 31 मार्च तक सिस्टम में नहीं आता है तो रिजर्व बैंक वादा से मुक्त हो जाएगा और उसकी मुक्ति के साथ ही 3500 अरब रुपए के नोट का मूल्य अदा करने की देनदारी से वो फ्री हो जाएगा. इसका सीधा मतलब है कि सरकार 3.50 लाख करोड़ रुपए की देनदारी से फ्री हो जाएगी.
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर रिजर्व बैंक 3500 अरब रुपए की देनदारी से फ्री होता है तो उसका फायदा सरकार को राजकोषीय घाटा नियंत्रण में मिलेगा. 2015-16 वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 5.32 लाख करोड़ था.
पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने कहा- मुनाफा समझने की कोशिश की तो गलत संदेश जाएगा
वैसे रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने सरकार को सतर्क किया है कि वो सरेंडर नहीं होने वाले नोट यानी सिस्टम में वापस नहीं आने वाले 500 और 1000 रुपए के नोट को मुनाफा नहीं माने नहीं तो भारतीय रुपए की साख पर बट्टा लगेगा और ये माना जाएगा कि सरकार का मकसद काला धन से निपटना नहीं, कुछ और ही था.
सुब्बाराव ने कहा कि कानून के मुताबिक रिजर्व बैंक को अपना मुनाफा सरकार को ट्रांसफर करना होता है. अगर इस मामले में सरकार रिजर्व बैंक से वो पैसे मांगती है या रिजर्व बैंक वो पैसा सरकार को देता है और फिर सरकार उससे बैंकों में फिर से पैसा डालती है या कोई नई योजना शुरू करती है या कुछ भी करती है तो इस नोट बैन को लेकर गलत संदेश जाएगा.