नई दिल्ली. भारत सरकार की योजना देश के 22 हाई-वे को रन-वे में तब्दील करने की है. मतलब साफ है कि जंग जैसे हालात या जंग होने पर देश के किसी भी इलाके में वायुसेना को तैयार किया जा सके. वायुसेना ने भी दुश्मनों को सख्त संदेश दिया है. अब हिंदुस्तान किसी का भी भला-बुरा कर सकता है.
आज आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन हो गया जो लोगों को राहत देने वाला है, तो वायुसेना की तैयारियों को भी आगे बढ़ाया है. जिस हाईवे पर मिराज और सुखोई विमानों की लैंडिंग कराई गई, वो कैसा है, क्या खायिसत है.
सबसे पहले आपको बता दें कि हाई-वे पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए खास तैयारी की जरूरत होती है इसलिए किसी भी हाई-वे पर इन्हें नहीं उतारा जा सकता. सुखोई और मिराज जैसे तूफानी रफ्तार वाले फाइटर जेट को हाईवे पर लाने के लिए कौन कौन से मानक जरूरी हैं.
मिराज-2000 में क्या है खास?
मिराज-2000 लड़ाकू विमान है. यह फ्रांस एयरफोर्स की सबसे बड़ी ताकतों में से एक है. इसकी हवा में रफ्तार 2336 किलोमीटर प्रति घंटा है. स्टार्ट होने के बाद जमीन छोड़ने के लिए इसे कम से कम 5.5 किलोमीटर लंबा एयरस्ट्रिप चाहिए. वो भी बेहद मजबूत जिसके 110 मीटर के दायरे में कोई पेड़-पौधा या कोई दूसरी बाधा न हो.
इसकी स्पीड साधारण कार की स्पीड से पांच गुना ज्यादा है. हिन्दुस्तान में हाइ-वे पर कानूनी रूप से तय सबसे ज्यादा स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे की है. जो बैंगलोर एयरपोर्ट एक्सप्रेस वे की है.
यमुना एक्सप्रेस वे के लिए तय मानक 120 किलोमीटर प्रति घंटे की है, लेकिन दूसरी तरफ जब ये लड़ाकू फाइटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर उतरे तो इनकी स्पीड कार की स्पीड और हाइवे के लिए तय मानक स्पीड से कई गुणा ज्यादा थी.
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