मुंबई. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बाबरी मस्जिद मामले को केंद्र सरकार के नियंत्रण में न लाकर नरसिम्हा राव की सरकार की ‘घातक राजनीतिक भूल’ बताया. उन्होंने कहा कि इस बात के पुख्ता सबूत थे कि बाबरी मस्जिद पर खतरा है लेकिन इसके बावजूद ऐसा नहीं किया गया. जेटली ने कहा कि वह इस घटना को महज एक फैसले में भूल बताकर दरकिनार करने की कोशिश नहीं करूंगा.
जेटली ने कहा कि इस घटना के परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री राव ने पार्टी के कार्यकर्ताओं का विश्वास पूरा खो दिया. कई लोगों ने राव को पहले से ही आगह कर दिया था कि बाबरी मस्जिद को खतरा है. चिदंबरम ने बात मुंबई मे हो रहे टाटा लिटरेचर फेस्टिवल के पैनल डिस्कशन में कहीं.
चिदंबरम ने कहा कि हमारी सरकार ने इस संदर्भ में एक बयान जारी किया था जिसमें कहा था कि हम मस्जिद को गिराए जाने के खिलाफ हैं. अगर जरूरत होगी तो हम वहां अर्द्धसैनिक बलों और आर्मी को भी तैनात कर देंगे. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद को खतरा अचानक नहीं आया था और न ही कारसेवकों की तरफ से यह स्वत: कार्रवाई की गई थी.
उन्होंने आगे कहा कि रामेश्वरम से ट्रेन में पत्थर लाए जा रहे थे और इस चक्कर में समूची ट्रेन को बुक किया जा रहा था. सरकार में हर कोई जानता था कि लाखों लोग जुटने वाले हैं. पूर्व वित्त मंत्री ने आगे कहा कि राव को सेना और अर्द्धसैनिक बलों को आगे बढ़ाना चाहिए था और इसे बिल्कुल साफ करना चाहिए था कि मस्जिद केंद्र सरकार के नियंत्रण में है.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा है कि हर दिन सबूत जमा हो रहा है. हम सभी जानते हैं कि कारसेवकों को विदाई देने के लिए किस तरह कार्यक्रम किए जा रहे थे. सरकार की तरफ से राजनीतिक फैसले लेने वाला कोई भी व्यक्ति कह सकता था कि मस्जिद को भारी खतरा था. उन लोगों के पास कहां से कुल्हाड़ी और हथौड़े आए.