जन्मदिन विशेष: राम नाम की अंगूठी पहनते थे टीपू सुल्तान

आज अठारहवीं सदी के मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान की जयंती है. उनका जन्म 20 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था. उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था. इस खास मौके पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को बताएंगे.

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जन्मदिन विशेष: राम नाम की अंगूठी पहनते थे टीपू सुल्तान

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  • November 20, 2016 3:23 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. आज अठारहवीं सदी के मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान की जयंती है. उनका जन्म 20 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था. उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था. इस खास मौके पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को बताएंगे.
 
अंग्रजों के छक्के छुड़ाने वाले टीपू सुल्तान के पिता का नाम हैदर अली था. हैदर अली भी भारतीय योद्धाओं में से एक थे. पिता की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान ने मैसूर सेना की कमान को अपने हाथ में लिया था. जन्म से ही ओजस्वी सुल्तान को वीरता के कारण ‘शेर-ए-मैसूर’ के खिताब से नवाजा गया. ये खिताब उनके पिता हैदर अली ने ही दी.
 
राम नाम वाली अंगूठी पहनते थे सुल्तान
टीपू सुल्तान हिन्दुओं के दुश्मन होने के बावजूद राम नाम वाली सोने की अंगूठी पहनते थे, हालांकि यह अभी राज ही है कि वे राम नाम वाली अंगूठी क्यों पहनते थे. इतिहासकारों को कहना है कि 1799 में श्रीरंगापट्टनम की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के हाथों टीपू सुल्तान की मौत हो गई थी.
 
उसके बाद ब्रिटिश जनरल ने उनकी ऊंगली से राम नाम वाली अंगूठी उतार ली थी. इस अंगूठी को मई 2014 में लंदन में नीलाम कर दिया गया. अंगूठी की बोली 1 लाख 45 हजार पाउंड लगी थी. इससे पहले टीपू सुल्तान के तलवार को भी लंदन में ही नीलाम किया गया था जिसे विजय माल्या ने खरीदा था.
 
दुनिया के पहले मिसाइनमैन टीपू सुल्तान
टीपू सुल्तान को दुनिया का पहला मिसाइनमैन भी कहा जाता है. वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में रॉकेट का इस्तेमाल करते थे, हालांकि ये रॉकेट दीवाली रॉकेट से थोड़ ही बड़े होते थे और कुछ खास कमाल भी नहीं कर पाते लेकिन अंग्रेजों की सेना में इससे खलबली जरूर मच जाती थी.
 
इस संदर्भ में भारत में मिसाइल कार्यक्रम को जन्म देने वाले एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब ‘विंग्स ऑफ फायर’ में लिखा है कि उन्होंने नासा के एक सेंटर में टीपू की सेना की रॉकेट वाली पेंटिग देखी थी. उन्होंने लिखा’ मुझे ये लगा कि धरती के दूसरे सिरे पर युद्ध में सबसे पहले इस्तेमाल हुए रॉकेट और उनका इस्तेमाल करने वाले सुल्तान की दूरदृष्टि का जश्न मनाया जा रहा था. वहीं हमारे देश में लोग ये बात या तो जानते नहीं या उसको तवज्जो नहीं देते.’

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