नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों में जब से देश में नोटबंदी हुई है इन दान पेटियों में दाताओं की बहार सी आ गई है. ऐसा किसी एक मंदिर से साथ नहीं हो रहा. देश के दर्जनों मंदिर की दान पेटियां नोटों से अटी पड़ी है. कुछ लोग कह रहे हैं कि ये उन धन कुबेरों की पाप की कमाई है जिसे छिपाने का उनके पास कोई रास्ता ही नहीं बचा.
जो लोग कल तक 50-100 रुपए देने से कतराते थे वो धीरे से 500-1000 के बंडल डालकर निकल जा रहे हैं, लेकिन सवाल बड़ा है इन पैसों का क्या होगा. ये किसकी जेब में जाएंगे, क्योंकि पीएम मोदी तो कह रहे हैं कि कि वो किसी को निकलने का कोई रास्ता ही नहीं देंगे. पीएम मोदी ने कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक का ऐसा फूलप्रूफ प्लान तैयार किया कि काली कमाई के धनकुबेरों के लिए सभी रास्ते बंद हो गए.
वो हाथ मलते रह गए और काली कमाई की दौलत एक झटके से कुड़े में तब्दील हो गई, लेकिन ये काली कमाई तो अकूत है. जिसका हिसाब दे नहीं सकते. बैक में जमा कर नहीं सकते, बड़ी मुश्किल है.इस काले धन का क्या करें फिर काली कमाई के धन कुबेरों ने ये नया रास्ता खोजा. पाप और काली कमाई को भगवान के खजाने में रख दिया.
सिद्धिविनायक मंदिर को हफ्ते में करीब 30-40 लाख रुपये दान मिलते रहे हैं. लेकिन नोटबंदी के बाद पिछले हफ्ते 60 लाख रुपए दान में आ गए. मतलब करीब दोगुनी रकम. वो भी महीने के बदले सिर्फ 7 दिन में. नोटबंदी के बाद सिद्धिविनायक मंदिर ने काउंटर के माध्यम से लिए जाने वाले चढ़ावे में 500 या 1000 के नोट की मनाही कर दी है.लेकिन मंदिर के अंदर दानपेटियों में ये नोट अभी भी चल रहे हैं.
इस हफ्ते जब दानपेटियां खोली गईं.तो सामने पांच सौ और हजार के करीब 27 लाख रुपए का ढेर लग गया.जाहिर है नोटबंदी की वजह से बप्पा के दरबार में दान बढ़ गया है. काली कमाई को बाजार में नहीं खपा पाने वाले लोग उसे बप्पा के चरणों में रखकर पुण्य की आस लगाए बैठे हैं.