नोटबंदी के बाद इन 5 मंदिरों में लोगों ने दान किए करोड़ों रुपए

नई दिल्ली. मोदी सरकार ने जैसे ही 500 और 1000 के पुराने नोटों पर पाबंदी लगाई है वैसे ही काले धन को छुपाने के लिए लोगों ने नए-नए तरीके अपनाना शुरू कर दिया है. इनमें से कोई नदियों में पैसा बहा रहा है कोई मंदिरों में दान दे रहा है.
काले धन को मंदिरों में दान के जरिए छुपाने की कोशिश करने वाले लोगों की निगरानी के लिए महाराष्ट्र के चैरिटी कमिश्नर ने निर्देश जारी किया है. उन्होंने कहा है कि धार्मिक जगहों की दान पेटियों को अधिकारियों की उपस्थिति में ही खोला जाए.
5 ऐसे मंदिरों जहां श्रद्धालु करोड़ों रुपए का दान कर रहे हैं…
सिद्धिविनायक मंदिर
महाराष्ट्र के मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धविनायक मंदिर को सालाना 75 से 80 करोड़ रुपए का दान मिल जाता है. इन दानों में 90 फीसदी कैश ही होता है. पांच बैंकों के अधिकारी सप्ताह में एक दिन दान में मिले कैश सोना, चांदी को अलग करते हैं.  सिद्धविनायक मंदिर को सालाना 30 करोड़ का ब्याज का मिलता है. नोटबंदी के बाद से ही मंदिर ट्रस्ट ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को स्वीकारना बंद कर दिया लेकिन फिर भी हर दिन लाखों रुपयों का चढ़ावा आ जाता है.
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर
पंजाब में अमृतसर के मशहूर स्वर्ण मंदिर को हर साल सात करोड़ का दान मिलता है. सप्ताह में दो दिन स्वर्ण मंदिर कॉम्पलेक्स में बने अकाल तख्त साहिब के बेसमेंट में चढ़ावे में आए इन पैसों को गिना जाता है. इसमें से 10 फीसदी राशि शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को दे दिया जाता है और15 फीसदी राशि को धर्म प्रचार के लिए रख दिया जाता है. सात फीसदी दान को लोगों की सेवा पर खर्च किया जाता है. नोटबंदी के बाद स्वर्ण मंदिर में भी 500-1000 रुपए के दान पर पाबंदी लगा दी गई.
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम
तिरुअनंतपुरम के मंदिर का पैसों में मूल्य एक लाख करोड़ आंका गया है. पद्मनाभस्वामी मंदिर को सालाना 20 करोड़ रुपए का दान मिलता है. 500-1000 के नोटों पर पाबंदी के दान पर इन नोटों को न चढ़ाने पर बैन लगा दिया गया है. यहां  लोग स्वैपिंग मशीन के जरिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड से दान कर सकते हैं.
तिरुमला मंदिर, तिरुपति
तिरुपति का तिरुमला मंदिर भी दान के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहां हर साल एक हजार करोड़ रुपए का दान मिलता है. मंदिर को रोज ढाई करोड़ का चढ़ावा मिलता है. त्यौहारों के मौसम में ये दान चार से साढे चार करोड़ हो जाता है. नोटबंदी के ऐलान के बाद भी यहां पुराने नोट स्वीकार किए जा रहे हैं और यह सुविधा 31 दिसंबर तक जारी की जाएगी.
शिरडी का साईंबाबा मंदिर
शिरडी के प्रसिद्ध साईं बाबा मंदिर में हर साल लगभग 450 से 500 करोड़ रुपए का चढ़ावा मिल ही जाता है. इस दान से मंदिर को बैंक से कम से कम 115 करोड़ रुपए का ब्याज ही मिल जाता है. नोटबंदी की घोषणा के बाद शिरड़ी की साईंबाबा संस्थान ट्र्स्ट ने 500-1000 नोटों पर बैन लगा दी है और कैश काउंटर पर इसे स्वीकार करना बंद कर दिया गया.
ऐसी रिपोर्ट् सामने आई है कि मोदी सरकार के ऐलान के बाद भी मंदिर की दान पेटी में भारी मात्रा में लोग 500 और 1000 के पुराने नोट डाल रहे हैं.
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