नई दिल्ली. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने नोटबंदी की तुलना उरी हमले से करते हुए कहा कि इतने लोग तो उरी आतंकी हमले में भी शहीद नहीं हुए जितने सरकार के इस फैसले से मारे गए हैं. आजाद के इस बयान पर केंद्र सरकार भड़क गई.
आजाद ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने फैसले से आम लोगों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है, भूख से मरने वाले लोगों की संख्या शायद अब 43 हो गई है, क्या सरकार को अब ये नहीं दिखता. आजाद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को भारत की 125 करोड़ जनता से माफी मांगनी चाहिए. इस फैसले के बाद मजदूरी करने वालों को पैसे नहीं मिल रहे है.
आजाद ने कहा कि भूख से मरने वालों की संख्या अब शायद 43 हो गई है. भारत के इतिहास में ऐसा कभी-भी किसी पीएम की घोषणा से इतनी तकलीफ नहीं पहुंची, जिसकी वजह से 43 लोगों की मौत हो गई.
आजाद ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि विदेश से कालाधन लेकर आएंगे और 15 लाख रुपए हर नागरिक के खाते में डाल दिए जाएंगे. इन्हीं सवालों से बचने के लिए मोदी सरकार ने आनन-फानन में बिना किसी तैयारी के ये घोषणा कर दी. इस फैसले के बाद एक हफ्ते में तीन बार नोटिफिकेशन बदला गया है. इसका मतलब है कि सरकार के पास कोई करेंसी नहीं है.
आजाद ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने बीजेपी के लोगों को ही लाइनों में खड़ा कर दिया है जो लोगों से कह रहे हैं कि किसी को भी कोई दिक्कत नहीं है. इस फैसले के बाद बैंक के बाहर इतने लोगों के मरने का जिम्मेदार कौन है? आज कोई भी सांसद अपने इलाके में जाने को तैयार ही नही है, क्योंकि उन लोगों को डर लग रहा है कि उनकी पिटाई हो जाएगी.