20000 से कम के चंदे का हिसाब नहीं देना पड़ता पार्टियों को, काला धन होगा भी तो फिक्र नहीं उनको

देश के किसी भी राजनीतिक दल के पास अगर कोई काला धन है और वो 500 या 1000 के नोट की शक्ल में भी है तो उसे नरेंद्र मोदी सरकार के 'सर्जिकल स्ट्राइक' से बहुत परेशानी नहीं होगी. इसकी कानूनी वजह है- लोकप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29-सी.

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20000 से कम के चंदे का हिसाब नहीं देना पड़ता पार्टियों को, काला धन होगा भी तो फिक्र नहीं उनको

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  • November 17, 2016 2:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. देश के किसी भी राजनीतिक दल के पास अगर कोई काला धन है और वो 500 या 1000 के नोट की शक्ल में भी है तो उसे नरेंद्र मोदी सरकार के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से बहुत परेशानी नहीं होगी. इसकी कानूनी वजह है- लोकप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29-सी.
 
लोकप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29-सी के मुताबिक कोई भी राजनीतिक दल देश के किसी भी व्यक्ति या कंपनी से कितनी भी छोटी या बड़ी रकम का स्वैच्छिक दान ले सकता है. उसे बस 20 हजार से ज्यादा का चंदा देने वाले लोगों के नाम चुनाव आयोग को बताना पड़ता है.
 
 
राजनीतिक दल इस नियम का फायदा उठाकर ज्यादातर चंदा को 20 हजार से कम वाले चंदे में दिखाते हैं और उसके एवज में पावती रसीद, कूपन जैसी चीजें जारी करते हैं. कानूनन उनसे 20 हजार से कम चंदा देने वालों का नाम नहीं पूछा जा सकता.
 
इस कानून के हिसाब से अगर किसी भी राजनीतिक पार्टी के पास 500 और 1000 के नोट के रूप में काला धन जमा भी होगा तो वो बैंक में ले जाकर सारी रकम पार्टी के खाते में जमा कर देंगे और चुनाव आयोग को बता देंगे कि ये सारी रकम या इस रकम का ज्यादातर हिस्सा 20 हजार से कम चंदा देने वालों से जुटाया गया है. पार्टियों को बस चंदे की पर्ची काटनी होगी. और ये काम, बैंक या एटीएम की लाइन में लगने से बहुत आसान है.
 
 
इसलिए जिन लोगों को ये लगता है कि मोदी सरकार के नोट बैन के फैसले से किसी भी राजनीतिक दल के पास जमा काला धन बर्बाद हो जाएगा तो उन्हें भ्रम है. राजनीतिक दलों के पास उस पैसे को घोषित करने का दबाव भर है जो उन्होंने बिना पार्टी खाते में डाले यहां-वहां जमा कर रखा है. 
 
लेकिन उन्हें उस पैसे के आने का स्रोत ना बताने का कानूनी रास्ता मिला हुआ है. 20 हजार से कम का चंदा वाला नियम उनके लिए काला धन पर सरकार के अभियान के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है. कानूनी हथियार.
 
देश की 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय का 60 परसेंट हिस्सा अज्ञात स्रोत से
 
2014-15 में चुनाव आयोग में दाखिल रिटर्न के मुताबिक देश की 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल कमाई का 60 परसेंट हिस्सा ऐसा है जिसे उन्हें किसने दिया, ये अज्ञात है. मतलब, ये कमाई ऐसी है जिसे पार्टियों ने 20 हजार से कम वाली कमाई के रास्ते हुई आय के तौर पर दिखाई है.
 
2014-15 में 6 राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, एनसीपी, सीपीएम और सीपाई की कुल आय 1869.11 करोड़ रुपए थी. 970.43 करोड़ की आय के साथ बीजेपी पहले, 593.31 करोड़ के साथ कांग्रेस दूसरे, 123.92 करोड़ के साथ सीपीएम तीसरे, 111.95 करोड़ के साथ बीएसपी चौथे, 67.64 करोड़ के साथ एनसीपी पांचवे और 1.84 करोड़ के साथ सीपीआई छठे नंबर पर थी. इन 6 दलों के कुल चंदे का करीब 52 परसेंट अकेले बीजेपी के पास आया.
 
 
इन 6 पार्टियों की कुल कमाई यानी 1869 करोड़ में 1130 करोड़ रुपए कहां से आए, ये पार्टियों ने नहीं बताया है. जाहिर तौर पर ये रकम छोटे चंदे यानी 20 हजार से कम के सहयोग के तौर पर जुटाई गई है या बताई गई है. अज्ञात स्रोत के तहत कूपन की बिक्री, चंदा रसीद, सहायता कोष, आजीवन सदस्यता निधि, विविध फंड, स्वैच्छिक अनुदान, सम्मेलन या मोर्चा से जुटाई गई रकम वगैरह आती है.
 
पार्टीवार भी देख लीजिए. बीजेपी की कुल आय 970 करोड़ में से 505 करोड़, कांग्रेस की आय 593 करोड़ में से 445 करोड़, सीपीएम के 123 करोड़ में से 60 करोड़, बीएसपी के 111 करोड़ में से 92 करोड़, एनसीपी के 67 करोड़ में से 27 करोड़ और सीपीआई के 1.84 करोड़ में से 30 हजार रुपए की आय ऐसी है जिसका स्रोत सार्वजनिक नहीं किया गया है, मतलब ये अज्ञात दाता से मिला चंदा है जो बहुत सारी पार्टियों का असली धंधा है.
 

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