लखनऊ. 8 नवंबर की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 500 और 1000 के नोट बंद करने के फैसले का असर पूरे देश में हो रहा है. वहीं राज्यों में होने वाले चुनाव पर भी इसका असर साफ देखा जा रहा है.
इस फैसले के बाद से कोई भी पार्टी चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल नहीं कर पाएगी. अभी तक यह पैसा चुनाव से पहले उम्मीदवारों और व्यापारिक घरानों से लिया जाता रहा है.
इन पैसों को बड़ी मात्रा में कैश में लिया जाता था और धड़ल्ले से रैलियों और चुनाव प्रचार में खर्च किया जाता था. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले का असर बीजेपी को हो सकता है और चुनाव में उसको नुकसान उठाना पड़ सकता है.
लेकिन माना जा रहा है कि इस कदम का फायदा बीजेपी को आने वाले समय हो सकता है. आपको बता दें कि भारत की जीडीपी में काला धन भी बड़ी मात्रा में है जिसके दम पर देश के अंदर ही समानान्तर अर्थव्यवस्था चलती है.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ही बड़ी मात्रा में काला धन खपाने की तैयारी थी. वहीं बड़े नोटों के बंद हो जाने के बाद भी अरबों रुपए खर्च होने का अनुमान है.
नाम न बताने की शर्त पर एक पार्टी के नेता ने बताया कि नोटों के बंद हो जाने से उनको यूपी विधानसभा चुनाव की प्लानिंग फिर बनानी पड़ेगी. हालांकि उनकी चिंता इस बात की भी है कि बीजेपी ने पहले ही बड़े व्यापारिक घरानों से पैसा ले लिया है और चुनाव के समय उसके पास कैश की कोई समस्या नहीं होने वाली है.
कई विशेषज्ञों का भी मानना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से सभी पार्टियों को नुकसान होने वाला है लेकिन इसका फायदा निश्चित तौर पर बीजेपी को मिलने वाला है.
लेकिन कुछ नेताओं ने इन नियमों का भी तोड़ निकाल लिया है. मिली जानकारी के मुताबिक वह ऐसे लोगों को अब ढू़ढ़ रहे हैं जो रैलियों के लिए सीधे पैसा न देकर जरूरी सामान मुहैया करा दें या फिर वोटरों को लुभाने के लिए मोबाइल खरीद कर दे सकें.