नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा किसी शामत किसी की आई है तो वे हैं देश के नेता. इनमें कुछ नेता बड़ी ही समझदारी के साथ अपने काले धन को ठिकाने लगा रहे हैं. इसके लिए वे ग्रामीण इलाकों के सहकारी बैंकों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
दरअसल ये सभी बैंक कंप्यूटराइज्ड नहीं है. यहां अभी भी लिखित खाता-बही का इस्तेमाल हो रहा है जिसका भरपूर फायदा नेता उठा रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक सहकारी बैंकों में नेताओं के फिक्सड डिपोजिट खाते खोल जा रहे हैं और भी बैकडेट में. साथ ही ये नेता कैश की जगह डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं.
बैकडेट में जारी हो रहे डिमांड्र ड्राफ्ट
इन सहाकारी बैंकों में नेता नकद राशि देकर पिछली तारीख का फिक्स डिपोजिट खाता खुलवा रहे हैं. साथ ही बैंक डिमांड ड्राफ्ट के जरिए लोगों को कैश दिया जा रहा है. इस पर बैंकिंग सेक्टर से जुड़े कुछ लोगों का नोटबंदी के बाद कुछ लोगों ने यह रास्ता निकाला है जिसमें अधिकतर नेता ही है.
ऐसे लिए जा रहे नए नोट
इन सहकारी बैंकों से लोग पे ऑर्डर और डिमांड ड्राफ्ट खरीद रहे हैं. बैकडेट की तारीख में लिए गए डिमांड ड्राफ्ट के जरिए लोद नए नोट धड़ल्ले से ले रहे हैं. हालांकि इस संबंध में सेंट्रल बैंक ने सहकारी बैंकों को चेतावनी भी जारी किया है.