नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने याह-गूगल जैसे सर्च इंजनों को निर्देश दिया है कि वे लिंग निर्धारण से जुड़े विज्ञापन हटा लें. अदालत ने लिंग निर्धारण संबंधी जानकारियों पर सख्ती दिखाई है. न्यायालय ने कहा है कि वे अगले 36 घंटे के अंदर भ्रूण जांच की सभी जानकारियां हटा लें.
न्यायालय ने केंद्र सरकार से भी कहा है कि वह इन वेबसाइट की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त करें. ये नोडल एजेंसियां वेबसाइट पर भ्रूण जांच के विज्ञापन की निगरानी करेंगी. अगर लिंग परीक्षण के किसी भी विज्ञापन को इनपर दिखाया जाता है तो नोडल एजेंसी सर्ज इंजन को तुरंत इसके बारे में बताएगी और उसके अगले 36 घंटों के अंदर सर्ज इंजन को ऐसे विज्ञापन को हटाना होगा.
यह निर्देश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने दी. पीठ ने कहा कि ये नोडल एजेंसियां टीवी रेडियो और अखबारों के माध्यम से लोगों को यह बताएं की अगर किसी भी व्यक्ति को लिंग परीक्षण की कोई जानकारी मिले तो वह नोडल एजेंसी से संपर्क करे. एजेंसी इसके लिए विज्ञापन देगी.
न्यायालय ने कहा कि इस तरह के विज्ञापन सेक्स रेशियो को प्रभावित करते हैं इसलिए इनकी इजाजत नहीं दी जा सकती और यह कानूनन ठीक नहीं है, कानून इसकी इजाजत नहीं देता.
बता दें कि कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जो वेबसाइटों पर लिंग परीक्षण की जानकारी पर रोक लगाने के लिए है. मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी 2017 को होगी. न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई की भारत में लिंगानुपात लगातार गिरता जा रहा है.