नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से शुरू हो गया है. सत्र शुरू होते ही राज्यसभा में विपक्ष ने केंद्र सरकार को 500 और 1000 के नोट बंद करने के फैसले पर घेरना शुरू कर दिया है. राज्यसभा में इस बहस में हिस्सा लेते हुए सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि अगर पैसे से चुनाव जीता जाता तो सत्ताधारी कभी नहीं हारते. इसलिए नोटबैन को चुनावों से जोड़ना गलत बात है.
रामगोपाल यादव ने कहा कि नोटबंदी को लेकर लोगों के मन में पैदा हुए संदेह (करंसी बंद होने की बात लीक होने की) को दूर किया जाए और इसकी जांच भी हो. उन्होंने कहा कि ऐसा आपातकाल के दौरान नहीं हुआ. आम आदमी भिखारी बन गया है. अगर आप गांव जाकर किसी से वोट मांगेंगे तो महिलाएं अब बेलन उठाएंगी और सही से सबक सिखाएंगी.
इस फैसले से आम आदमी काफी प्रभावित हुआ है और इससे देश में संकट खड़ा हो गया है. पूरे देश में इस फैसले से व्हाट्सअप और अन्य चीजों का दुरुपयोग हो रहा है, इन पर पीएम नरेंद्र मोदी को गालियां दी जा रही हैं. यह बंद हो और मैसेज बनाने वाले के खिलाफ कार्रवाई भी हो.
रामगोपाल ने कहा कि सीएम अखिलेश यादव ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख सुझाव दिया था कि ग्रामीण इलाकों में मोबाइल बैंक की व्यवस्था होनी चाहिए. निजी अस्पतालों में पुराने नोट स्वीकार्य करने की छूट होनी चाहिए. किसानों को लूटा जा रहा है. उन्हें धान पर प्रति क्विंटल 500 रुपये का नुकसान हो रहा है. गरीब हो या पैसे वाला बेटी के शादी के समय उसके मन में होता है कि धूमधाम से उसकी शादी करें. अब लोगों के पास दो ही विकल्प हैं, या तो शादी टालें या फिर तोड़ें.
रामगोपाल ने राज्यसभा में आगे कहा कि नोटबंदी से दो चार महीने बाद बाबा रामदेव के टूथपेस्ट आदि की बिक्री बंद हो जाएगी, नोटबंदी के बाद से गांव के लोग टूथपेस्ट आदि दैनिक सामान नहीं खरीद पा रहे हैं. इस वक्त फसलों की बुआई चल रही है, इस फैसले से किसान खाद और बीज नहीं ले पा रहा.
उन्होंने कहा कि किसानों का आलू बिक नहीं पा रहा है इस वजह से कोल्ड स्टोरेज में आलू सड़ रहे हैं, आपके इस कदम से गरीब और मासूम जनता को घाटा हो गया. यही नहीं नोटबंदी से पहले ही 2000 के नए नोट ट्वीट भी किए गए. गोपनीयता टूटने से सरकार की नोटबंदी की मंशा फेल हो गई है.