मंगलवार रात 8 बजे सरकार की ओर से लिए गए नोट बंदी के फैसले से शुरुआत में हर तरफ नाकारात्मक असर दिखना तय है. इस पर एक्सपर्ट्स की राय है कि शुरुआत में यह किसी भयानक सपने की तरह होगा. बैंकों में नोटों को बदलना और साथ-साथ बिना परेशानी के चलाना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
नई दिल्ली. मंगलवार रात 8 बजे सरकार की ओर से लिए गए नोट बंदी के निर्णय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार जनता से 50 दिनों का समय मांग चुके हैं.
इन 50 दिनों के बाद हो सकता है जनता को हो रही असुविधा से निजात मिल जाए लेकिन इस फैसले का असर दूरगामी होने वाला है. हम यहां इस फैसले के शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म इम्पैक्ट पर आपको एक्सपर्ट्स की राय से रूबरू करा रहे हैं.
शुरूआती असर:
नोट बंदी के फैसले से शुरुआत में हर तरफ नाकारात्मक असर दिखना तय है. इस पर एक्सपर्ट्स की राय है कि शुरुआत में यह किसी भयानक सपने की तरह होगा. बैंकों में नोटों को बदलना और साथ-साथ बिना परेशानी के चलाना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
इसके अलावा लोगों के पास पैसों की कमी के चलते वह कम खर्च करेंगे और इसके अलावा कैश बेस सेक्टर जैसे कि रियल इस्टेट में लिक्विड मनी की परेशानी प्रमुखता से दिखेगी.
अगले 4 से 5 महीनो में:
अगले 4 से 5 महीनो में लोगों के घरों में पड़ा पैसा बैंकों में जमा हो जाएगा और वह बैंक व्यवस्था के हिस्सा बन जाएंगे. ऐसे में जिनके पास कोई काला पैसा नहीं है उन्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं होगी लेकिन जो लोग अघोषित आय दबाये बैठे हैं उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला असर:
इसके अलावा देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर भी शुरुआत में कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे. हालांकि समय बीतने के बाद यह जबरदस्त सकारात्मक प्रभावों में बदल जाएगा. सरकार का राजकोषीय घाटा अगले दो सालों में तेजी से घटेगा.
बैंकिंग सिस्टम में जबरदस्त बूस्ट देखने को मिलेगा. रियल इस्टेट और ज्वेलरी सेक्टर अगले 6 महीनो में सामान्य हो जाएगा. बता दें कि यह दावे आनन्द राठी सिक्युरिटीज ग्रुप की रिपोर्ट में किये गए हैं. जिसे मोहन गुरुस्वामी ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है. मोहन गुरुस्वामी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस एंड कनफ्लिक्ट स्टडीज के चेयरमैन हैं.
काला धन वालों पर पड़ने वाला असर
इसके अलावा इस रिपोर्ट में उन लोगों पर पढ़ने वाले प्रभाव की भी बात की गयी है जिनके पास कालाधन मौजूद है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग अपने पैसे का कुछ नहीं करेंगे उनका पैसा रद्दी के सामान हो जाएगा.
जो लोग इसका खुलासा करेंगे उनका 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा टैक्स और पैनेलिटी के रूप में सरकार के पास चला जाएगा. इसके अलावा एक तीसरा वर्ग भी होगा जो अपने पैसे को सफेद करने की कोशिश करेगा. इनमे से कई लोग पकडे जाएंगे.
बावजूद इसके काले धन का कुछ हिस्सा मुख्य धारा का हिस्सा बन जाएगा. ऐसे में कुल मिला कर अगर 14 लाख करोड़ रूपये के पुराने नोटों का 50 प्रतिशत हिस्सा भी जुर्माने के तहत आता है तो सरकार के खाते में करीब-करीब 7 लाख करोड़ रूपये आना तय है. इतना पैसा साल भर के लिए सरकार के राजकोषीय घाटे से निपटने के लिए काफी होगा.