नई दिल्ली. हज़ार-पांच सौ के जो नोट खुशियों की गारंटी हुआ करते थे आज वो आंसुओं की गारंटी बन गए हैं. बिटिया की शादी के लिए जिंदगी भर पाई-पाई जोड़ा, शादी से चार दिन पहले बैंक से नोटों की गड्डियां निकाली लेकिन बाजार में सब बेकार. दिल्ली की एक मां ये सोच कर रो पड़ती है कि बेटी की शादी में नए-नए इतने नोट कहां से आएंगे.
हजार-पांच सौ के नोट जी का जंजाल बन गए हैं. जिन लोगों की बेटियों की शादी है, बेटों की बारात निकलनी है, उन्हें ये बड़े-बड़े नोट नचा रहे हैं. बिटिया के हाथों में मेंहदी रच गई है लेकिन झुमके और कपड़े के लिए नए-नए नोट नहीं है. दिल्ली के बुराड़ी के रहने वाले देवेंद्र कुमार सैनी की बिटिया 16 नवंबर को है. थोड़ी-बहुत तैयारी हो चुकी है लेकिन जब से नोटबंदी हुई तब से ये बैंक के चक्कर काट रहे हैं.
दिल्ली में खिचड़ीपुर में ये शादी वाले घर की तस्वीर है. बारात आने से कुछ घंटे पहले यहां दूर-दूर तक रौनक नहीं दिख रही. दुल्हन बनने जा रही बेटी की फिक्र ये कि मम्मी-पापा इतने नए-नए नोट का इंतजाम कैसे करेंगे. नए नोटों का ऐसा टोटा पड़ा है कि दूल्हा-दुल्हन के नए कपड़े नहीं आए हैं. घरों में रखी रुपयों की गड्डियां किसी काम की नहीं, बच्चों के गुल्लक तोड़कर चाय-पानी का खर्चा चल रहा है.
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