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पार्श्वनाथ मामला: राठौड़ के मामले में SC ने गठित की कमिटी, दो हफ्ते में सौंपेगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के मामले में दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. ये कमेटी जगह का मुआयना करके कोर्ट को बताएगी कि वहां सड़क और पार्किंग की सुविधा है या नहीं, बिल्डर ने अपने वादे के मुताबिक व्यवस्था की है या नहीं. दो हफ्ते में कमेटी कोर्ट को इस मामले में रिपोर्ट देगी.

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  • November 9, 2016 4:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के मामले में दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. ये कमेटी जगह का मुआयना करके कोर्ट को बताएगी कि वहां सड़क और पार्किंग की सुविधा है या नहीं, बिल्डर ने अपने वादे के मुताबिक व्यवस्था की है या नहीं. दो हफ्ते में कमेटी कोर्ट को इस मामले में रिपोर्ट देगी.
 
कोर्ट ने साफ किया कि फ्लैट मिलने में हुई देरी को लेकर राठौड़ को मुआवजा दिया जाएगा या नहीं इस पर बाद में विचार किया जाएगा. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को है.
 
राठौड़ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि जो फ्लैट दिया गया वहां पार्किंग नहीं है और सड़क भी सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 21 अक्टूबर को पार्श्वनाथ डेवलपर्स को निर्देश दिया था कि वह सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को दो दिन के भीतर गुड़गांव परियोजना में फ्लैट का कब्जा सौंपे. पीठ ने यह भी कहा था कि राठौड़ को अब इस डेवेलपर्स को कोई भी अतिरिक्त पैसे का भुगतान नहीं करना चाहिए.
 
अदालत ने कहा कि फ्लैट का कब्जा देने में हुए विलंब की वजह से राठौर को दिये जाने वाले मुआवजे के बारे में बाद में विचार किया जाएगा. इस मामले की सुनवाई के दौरान पार्शवनाथ डेवलपर्स के वकील ने कहा कि फ्लैट तैयार है और वह इसका कब्जा दे सकता है. राठौड़ ने पार्श्वनाथ की परियोजना एक्जोटिका में 2006 में फ्लैट बुक कराया था और इसके लिये 70 लाख रुपए का भुगतान भी किया था.
 
इस फर्म को 2008-09 में फ्लैट का कब्जा देना था. इस साल जनवरी में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग ने बिल्डर को निर्देश दिया था कि राठौड़ को मूल धन ब्याज सहित वापस किया जाए और उन्हें मुआवजा दिया जाए. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने बड़े-बड़े दावे करने के लिये इस बिल्डर को आड़े हाथ लिया था और कहा था कि आवासीय परियोजना के पूरा होने में अत्यधिक विलंब की वजह से उसके वादे पूरे नहीं हुए.

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